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इंटरलेकन में आसमान में मंडराते पैराग्लाइडर। फोटो अजातशत्रु

मेरा सपना… 17

-शैलेश पाण्डेय-

राइन फॉल्स (Rhine falls) तक के सफर में पूरे रास्ते पेड़- पौधों की हरियाली दिखी लेकिन आश्चर्य हुआ कि इतने सघन वृक्षों के बावजूद आकाश में पक्षी उड़ते क्यों नहीं दिख रहे । नीलम जी पक्षियों के कलरव और उनकी प्रजातियों को निहारने में बहुत रूचि रखती हैं इसलिए उन्होंने ही इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया। राइन फाल्स परिसर के बाहर आने के बाद वहां उपस्थित लोगों से इस बारे में जानकारी चाही लेकिन भाषा बाधा बन गई। जिससे भी बात करने की कोशिश की वह जर्मन या फ्रेंच भाषी निकला। यहां जर्मन और फ्रेंच के बाद तीसरी भाषा इतालवी है। अंग्रेजी जानने वाला कोई नहीं मिला इसलिए पक्षियों के बारे में जानकारी नहीं हो पाने का अफसोस रहा।

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इंटरलेकन का प्रमुख ग्रैंड होटल। फोटो अजातशत्रु

राइन फाल्स से ज्यूरिख होटल तक का हमारा सफर करीब डेढ़ घंटे का था। रात में होटल में विश्राम के बाद सुबह से ही व्यस्त कार्यक्रम था इसमें प्रमुख पर्यटन स्थल इंटरलेकन तथा युंगफ्रा का भ्रमण प्रमुख था। इस टूर की खासियत यह रही कि हमारे 34 सदस्यीय दल ने पूरे समय टूर मैनेजर राहुल जाधव के निर्देशों का बखूबी पालन किया। विशेषकर समय की पाबंदी का। शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि तय समय पर निर्धारित स्थल तक पहुंचने में किसी ने कोताही की हो। जबकि हाल ही में उज्जैन का टूर इस मामले में हमारे लिए कटु अनुभव वाला रहा था। जहां सहयात्रियों का कई बार आधे-आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

स्विट्जरलैंड का आधे से अधिक हिस्सा विश्व विख्यात एल्पस पर्वत श्रंखला में शामिल है इसलिए या तो पहाड़ों पर 40 से 50 फीट ऊँचे वृक्ष दिखाई देते हैं या मैदानी इलाकों में विशालकाय चारागाह। मकान भी पहाड़ की ढलान पर बने हैं जो दूर से देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं। स्विट्जरलैंड को धरती का स्वर्ग यों ही नहीं कहा जाता। जैसे-जैसे आप इसके नजदीक जाते हैं यहां के पहाड़, वादियां और ग्लेशियर आपको सम्मोहित करते हैं। यदि रॉबर्ट जैसे कुशल ड्राइवर हों तो आपको खतरनाक घुमाव वाले पहाड़ी इलाके भी सहज महसूस होते हैं और निश्चित होकर यहाँ के नैसर्गिक सौंदर्य को निहार सकते हैं। हमें दो सप्ताह के दौरान एक भी सड़क दुर्घटना की जानकारी नहीं मिली। जबकि भारत में तो सड़क हादसे रोजमर्रा की घटनाएं हैं।

अगले दिन का हमारा पहला पड़ाव दो प्रमुख झीलों के बीच बसा इंटरलेकन था। भारतीय पर्यटकों के लिए यहां एक प्रमुख आकर्षण फिल्म मेकर यश चोपड़ा की आदमकद स्टेच्यू है। भारतीय पर्यटक इस स्टेच्यू के साथ फोटो जरूर खिंचवाते हैं। यश चोपड़ा ने यहां दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे यानी डीडीएलजे फिल्म के एक गाने की शूटिंग की थी। शाहरूख खान और काजोल अभिनीत यह फिल्म बॉलिवुड इतिहास की सर्वाधिक सफल फिल्मों में है। जिस रेस्त्रां में इस गाने को फिल्माया गया था वह काफी चर्चित है।

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समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए लंदन में पुरस्कृत होने के बाद हमारे टूर में शामिल हुए डॉ रबीन्द्रनाथ मुखर्जी इंटरलेकन में यश चोपडा की आदमकद प्रतिमा के साथ खडे थे तब चुपचाप यह फोटो क्लिक किया।

इंटरलेकन पहाड़ों के बीच बसा राजस्थान के माउंट आबू की तरह का छोटा पर्यटन स्थल है. इसके बीच में स्थित विशालकाय पार्क के आसपास के शोरूम और इमारतें यहां का प्रमुख आकर्षण हैं। जब हम पहुंचे तो आकाश में आधा दर्जन पैराग्लाइडर्स को उड़ान भरते देखा। यहां का एक प्रमुख आकर्षण पैराग्लाइडिंग हैं और विशाल पार्क में ही ये उतरते हैं। पेराग्लाइडिंग का यह हाल है कि आसमान में एक साथ आधा दर्जन पैराग्लाइडर्स नजर आते हैं। उनके उतरने के बाद ही आधा दर्जन का अगला समूह दिखने लगता है। यह सिलसिला लगातार जारी रहता है।

पर्यटन स्थल होने के बावजूद यह एक दम साफ सुथरा है। पार्क के चारों ओर का दृश्य मनमोहने वाला है। यहां विश्वविख्यात स्विस घड़ी के टॉप ब्रांड उपलब्ध हैं जिनकी कीमत हजारों से शुरू होकर लाखों तक है।
इंटरलेकन में पूरे मार्केट का चक्कर लगाने के बाद पार्क में पैराग्लाइडर्स को उतरते देखना रोमांचक अनुभव था। हमने भी इसका दुस्साहस करने की कोशिश में जानकारी ली। इसके लिए कम से कम डेढ़ घंटे का समय चाहिए और पहले से बुकिंग करानी पड़ती है। आप पहाड़ की ऊँची चोटी से विशेषज्ञ पैराग्लाइडर्स के साथ उड़ान भरते हैं। कभी किसी दुर्घटना के बारे में नहीं सुना। यहां तक कि ऐसे वृद्ध लोग तक पैराग्लाइडिंग कर रहे थे जिनको हमारे यहां मोह माया से दूर होकर केवल घर में बैठकर माला जपने की सलाह दी जाती है। लेकिन हमारे पास इतना समय और साहस नहीं था इसलिए पैराग्लाइडिंग का विचार त्याग दिया। सुहाने मौसम में सूरज और बादलों के बीच की लुकाछिपी माहौल को और खुशगवार बना रही थी। वहां से आने का मन नहीं कर रहा था लेकिन लंच के बाद हमें जीवन के सबसे रोमांचक अनुभव से गुजरना था इसलिए टॉप ऑफ यूरोप युंगफ्रा के लिए प्रस्थान करना था। अब हमारा सफर युंगफ्रा (Jungfrau) की ओर था।

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