-द ओपिनियन-
बिलकिसस बानो ने गुजरात के गोधरा में 2002 के दंगों के दौरान गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई माह के आदेश को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका भी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में गुजरात सरकार को दोषियों की सजा पर निर्णय लेने की अनुमति दी थी।
उल्लेखनीय है कि एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में सजा 2008 में मिली थी, इसलिए रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कठोर नियम लागू नहीं होंगे। कोर्ट ने कहा था कि नियम 1992 के ही लागू होंगे जिसके तहत गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था।
बिलकिस बानो का याचिका में कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला है तो नियम भी वहां का ही लागू होना चाहिए। गुजरात का नियम यहां लागू नहीं होना चाहिए। इस मामले में बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में 13 मई के आदेश पर पुनर्विचार करने की याचना की है।बिलकिस बानो ने उम्र कैद की सजा काट रहे लोगों की रिहाई पर अचरज जताते हुए कहा है कि उनके और उनके परिवार के लोगों से जुड़े मामले में जिन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी उनकी समय से पहले रिहाई से उन्हें बहुत दुख पहुंचा है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे पुनर्विचार याचिका को देखने के बाद लिस्ट करने पर विचार करेंगे। आज बिलकिस बानो की ओर से वकील शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस याचिका को मेंशन करते हुए सुनवाई की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने याचिका को देखने के बाद लिस्ट करने पर विचार करने को कहा।