
-ममता का दावा बैठक में पांच मिनट बाद बोलने से रोका
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 जुलाई शनिवार को नीती आयोग (NITI Aayog) की बैठक से वॉक आउट कर दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, नीती आयोग की बैठक में शामिल होने वाली विपक्ष शासित राज्यों की एकमात्र मुख्यमंत्री थीं। उन्होंनेे यह कहते हुए बैठक से वॉकआउट कर दिया कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले बैठक में शामिल होने की पुष्टि की थी लेकिन वह इसमें नहीं आए।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने मीडिया से कहा कि मैं बैठक का बहिष्कार करके आई हूँ। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिए गए थे। असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10-12 मिनट तक बात की। मुझे पाँच मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया। यह अनुचित है। विपक्ष की ओर से मैं अकेली थी। मैंने बैठक में इसलिए भाग लिया क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए।
ममता बनर्जी ने 23 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए कहा कि नीति आयोग काम नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास कोई वित्तीय शक्तियाँ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि योजना आयोग को वापस लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक, पक्षपातपूर्ण बजट है। बैठक में मैंने कहा, आप अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं? नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं है, यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियाँ दें या योजना आयोग को वापस लाएँ।
उन्होंने दावा किया कि जब बैठक में उन्होंने कहा कि बंगाल के लिए सभी कल्याणकारी परियोजनाओं को रोक दिया है और राज्य को उसकी उचित आवास योजना और ग्रामीण सड़क योजना से वंचित कर दिया है। उन्होंने खाद्य सब्सिडी भी रोक दी है। हम 1.71 लाख करोड़ रुपये के फंड से वंचित हैं। इस बजट में कुछ भी नहीं है। मेरे यह कहने के तुरंत बाद माइक बंद कर दिया गया।
हालांकि, पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट ने एक्स पर पोस्ट किया कि ममता बनर्जी का यह दावा भ्रामक है। घड़ी ने केवल यह दिखाया कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था। यहां तक कि इसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजाई गई।
ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार को खुश होना चाहिए कि वह एक विपक्षी नेता के रूप में बैठक में शामिल हुईं, लेकिन उन्होंने अपने नेताओं को अधिक समय दिया। यह अपमानजनक है और मैं आगे किसी भी बैठक में भाग नहीं लूंगी। वे राजनीतिक रूप से पक्षपाती हैं। वे विभिन्न राज्यों पर उचित ध्यान नहीं दे रहे हैं। मुझे उनके द्वारा कुछ राज्यों पर विशेष ध्यान दिए जाने से कोई समस्या नहीं है। मैंने पूछा कि वे अन्य राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। मैं सभी राज्यों की ओर से बोल रही हूं। मैंने कहा कि हम ही हैं जो काम करते हैं जबकि वे केवल निर्देश देते हैं।