
-महिलाओं को और कितने साल करना होगा इंतजार
नई दिल्ली। यूपीए की पूर्व चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक का पुरजोर समर्थन किया। लेकिन उन्होंने दो टूक कहा कि महिला आरक्षण बिल को लागू करने में देरी भारतीय महिलाओं के साथ घोर अन्याय होगा। कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा का नेतृत्व करते हुए कहा कि इस विधेयक की राह में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर इसे तत्काल लागू करना जरूरी भी है और संभव भी है। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस ने एससी, एसटी, ओबीसी के लिए भी उप-कोटा की मांग की है। उन्होंने जाति जनगणना की मांग भी की।
सोनिया गांधी ने कहा कि वह एक सवाल पूछना चाहती हैं कि भारतीय महिलाएं पिछले कुछ समय से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं। अब उन्हें कुछ साल और इंतजार करने को कहा जा रहा है। महिलाओं को और कितने साल इंतजार करना होगा? उन्होंने कहा कि महिलाओं के धैर्य की सीमा का अनुमान लगाना कठिन है; उन्होंने कहा, वे कभी आराम करने के बारे में नहीं सोचते।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को विचार और पारित करने के लिए पेश किया था।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि ये मेरे पति राजीव गांधी का सपना था। ‘यह मेरे जीवन का भी एक भावनात्मक क्षण है। पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तय करने के लिए संवैधानिक संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी द्वारा लाया गया था। लेकिन सात वोटों से राज्यसभा में गिर गया था।’
उन्होंने कहा कि बाद में, पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने इसे राज्यसभा में पारित कर दिया। परिणामस्वरूप, हमारे पास स्थानीय निकायों के माध्यम से देश भर में 15 लाख निर्वाचित महिला नेता हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी का सपना अभी केवल आधा पूरा हुआ है। इस विधेयक के पारित होने के साथ पूरा हो जाएगा।
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है। विधेयक के पारित होने को लेकर हम खुश हैं, लेकिन हमें चिंता भी है। उन्होंने कहा, ‘मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि भारतीय महिलाएं पिछले कुछ समय से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं। अब उन्हें कुछ साल और इंतजार करने को कहा जा रहा है। कितने साल? दो, तीन या आठ.. कितने वर्ष? क्या भारतीय महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार उचित है?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए, लेकिन जाति जनगणना भी कराई जाए और एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए।
सरकार ने मंगलवार को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया, जिससे पार्टियों के बीच आम सहमति के अभाव में 27 वर्षों से लंबित विधेयक को पुनर्जीवित किया गया।