
-सरकार की मंशा पर सवाल, चर्चा में होंगे वार
-द ओपिनियन-
महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश किया जा चुका है और आज बुधवार को इस पर चर्चा होनी है। लेकिन चर्चा की दिशा पहले से ही स्पष्ट है। कौन क्या कहेगा। बस शब्दावली का ही अंतर है। विधेयक लोकसभा में पेश किए जाने के एक -दो दिन पहले के राजनीतिक परिदृश्य और पार्टियों की बयानबाजी पर गौर कर लीजिए स्थिति अपने आप साफ हो जाएगी। कांग्रेस कार्यसमिति की हैदराबाद में बैठक हुई तो उसमें भी यह मांग उठी कि महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाए। उसी हैदराबाद से इसके एक दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए जरूरी विधायी प्रक्रिया शुरू कराने का अनुरोध किया था। केसीआर ने एक कदम आगे बढ़ कर ओबीसी के लिए विधायिका में आरक्षण की मांग भी कर दी थी। ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग तो उनकी चुनावी जरूरतों से प्ररित हो सकती है, लेकिन महिला आरक्षण के लिए राव की पार्टी काफी मुखर रही है। राव की बेटी के कविता इसके लिए अभियान चलाती रही है। इसलिए इसमें तो कोई संदेह नहीं है कि महिला शक्ति वंदना विधेयक की राह अब समाजवादी पार्टी या राजद नहीं रोक सकते जैसा कि उन्होंने पहले कर दिया था। तब सरकार बहुत से दलों के समर्थन पर टिकी थी और वह कोई राजनीतिक जोखिम लेने की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि ये पार्टियां अब भी विरोध में मुखर हो रही हैं।
इन पार्टियों के इस रुख से साफ है कि लोकसभा में चर्चा के दौरान वे भाजपा पर उसकी मंशा को लेकर प्रहार करेंगे और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षण की हिमायत करेंगे। लेकिन विधेयक लगभग आम सहमति न सही, एक बडी सहमति की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है। इस लिए इसका पारित होना तय है। अब सवाल यह है कि यह कब से लागू होगा, यह जब भी लागू होगा समाज में एक बड़े बदलाव का रास्ता जरूर खुलेगा। अभी पांच राज्यों मे विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए कांग्रेस भी ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मुखर हो रही है जबकि पहले तो उसका रुख यह नहीं था।
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया भी था, लेकिन कांग्रेस अब इस सवाल पर विधेयक के समर्थन से पीछे हटने का जोखिम नहीं उठा सकती। क्योंकि इस बात को ज्यादातर दलों का समर्थन हासिल नहीं है। वाईएसआर कांग्रेस ने भी विधेयक के प्रति समर्थन जताया है। समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, राजद आदि ने महिला आरक्षण का तो समर्थन किया लेकिन भाजपा की मंशा पर संदेह जताया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘नई संसद के पहले दिन ही बीजेपी सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू की। जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएंगे तो भाजपा सरकार को महिलाओं से झूठ बोलने की क्या जरूरत थी। इसी प्रकार राजद की नेता व बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी ने कहा, महिला आरक्षण के अंदर वंचित,उपेक्षत, खेतिहर, और मेहनतकश वर्ग की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हों। इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना आवश्यक है।
उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा, ‘सरकार ने महिलाओं के लिए बिल लेकर आई, हम इसका सम्मान करते हैं।. हम लोग महिला आरक्षण बिल का विरोध नहीं करेंगे। हर जगह महिला को आरक्षण मिलना चाहिए. बहुत दिन बाद पहली बार मोदी जी को पैदल चलते देखा, बिल लाने में भी राजनीति है.।