आखों देखीः खूबसूरती के बीच खटकता रहा प्लास्टिक वेस्ट

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जैसलमेर के पीले पत्थर से बनी होटल की शानदार इमारत। फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

-देवेन्द्र कुमार शर्मा-

देवेन्द्र कुमार शर्मा

(नेचर फोटोग्राफर एवं टिप्पणीकार)

पिछली 4 नवंबर को हम एक ग्रुप में जैसलमेर घूमने गए। दोपहर का लंच होटल Desert Tulip में था। होटल की इमारत देखने लायक है और खाना खाने से पहले हम सब होटल परिसर में फोटोग्राफी करते रहे। जैसलमेर का पीला पत्थर सोने की तरह चमकता है और इसी पत्थर से होटल की बिल्डिंग भी बनी है। पत्थर में उकेरे हुई बेलबूटे, जालियां और डिजाइन देखने लायक हैं। होटल का डाइनिंग हॉल भी शानदार है और इस में सेल्फ सर्विस वाला सिस्टम है जैसा शादी समारोह में होता है। जो जी चाहे खाइए और जितना खाना है उतना खाइए।

खूबसूरत लॉबी। फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

खाने के लिए क्रॉकरी भी अच्छी है बाउल चीनी मिट्टी के हैं लेकिन जो बात मुझे गलत लगी वो थे डिस्पोजेबल प्लास्टिक के कप। रोजाना न जाने कितना प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता होगा। एक दूसरी चीज जो मुझे अखरी वो थी 200 ml की पानी की बोतल। ये भी प्लास्टिक वेस्ट को बढ़ाती हैं लेकिन इस को रोकना किसी के बस की बात नहीं है।

प्लास्टिक की पानी की बोतल। फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी – सभ्य भारत: व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों द्वारा अपनाया गया स्व-नियमन है जिसके अन्तर्गत वे ऐसे व्यापारिक मॉडल के अनुसार काम करतीं हैं जो कानून, नैतिक मानकों, एवं अन्तरराष्ट्रीय रीति के अनुकूल हो। इसके अन्तर्गत कंपनी द्वारा कुछ ऐसे कार्य किये जाते हैं जो पर्यावरण, आम जनता, उपभोक्ता, कर्मचारी, तथा अंशधारियों पर सकारात्मक प्रभाव डाले।

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