
ग़ज़ल
शकूर अनवर
तेरी मिसाल किसी कहकशाँ* से क्या मतलब।
ज़मीं के चाॅंद तुझे आसमाॅं से क्या मतलब।।
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मेरे नहीफ़ से काॅंधों पे क्यूॅं गिरा पर्वत।
मेरे मिज़ाज को बारे गिराॅं से क्या मतलब।।
”
हम अपने अपने घरों से कहाॅं निकलते हैं।
फिर अपने शहर में अम्नो अमाॅं से क्या मतलब।।
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वफ़ा की राह में होना है जो भी हो जाये।
वफ़ा की राह में सूदो ज़ियाॅं से क्या मतलब।।
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हम अपना रख़्ते सफ़र मंज़िलों पे खोलेंगे।
क़दम क़दम पे नये इम्तेहाॅं से क्या मतलब।।
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निज़ाम उसका है “अनवर” मुहावरे उसके।
अमीर ए शहर को मेरी ज़ुबाॅं से क्या मतलब।।
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कहकशाॅं*सितारों की लड़ी आकाश गंगा
नहीफ़* कमज़ोर
बारे गिराॅं* भारी बोझ
सूदो ज़ियाॅं*नुक़सान फ़ायदा
रख़्ते सफ़र*यात्रा का सामान
निज़ाम*व्यवस्था इंतज़ाम
मुहावरे* उक्तियाॅं
अमीर ए शहर* हाकिम शासक
ज़ुबाॅं* भाषा
शकूर अनवर
9460851271