-द ओपिनियन-
कोटा। कोटा का दशहरा मेला यानी मौज मस्ती। बच्चों के मनोरंजन का सबसे बडा संसार और उन्हें उछलते कूदते, छोटी-छोटी चीजों के लिए जिद करते देखना हो तो दशहरा मेला चले आइये।
लगभग 25 हजार की भीड में बच्चों की मस्ती को देखिए। उनके रूठने को देखिए। झूले पर मजा लेते चीखते चिल्लाते झूलने का आनंद लेते देखिए ऐसा नजारा आपको एक साथ सामान्यतया देखने को नहीं मिलेगा।
बेसब्री से अपने नंबर का इंतजार करना भी आप इनसे सीख सकते हैं। एक झूले का आनंद लेने के कुछ दूर ही नए तरीके का झूला देखा तो उसके लिए जिद करने लगे। वास्तव में जीवन की आपाधापी में लोग बच्चों के संसार को ही भुला बैठे हैं। उनको बच्चों की सुरक्षा की ज्यादा चिंता है जबकि झूलों पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त कर रखे हैं। इसके बावजूद जब झूला उपर से नीचे आए तो मां-बाप के चेहरे का तनाव स्पष्ट देखने को मिल जाता है।
इसी तरह खान-पान की स्टाल पर मां-बाप अच्छा और हाइजनिक व्यंजन को तवज्जो देते हैं लेकिन बच्चों को तो गुडिया के बाल ज्यादा आकर्षित करते हैं।
यदि किसी बच्चे के मां-बाप मान गए तो उसकी खुशी का पारावार नहीं लेकिन जिनके नहीं माने बेचारे मन मसोस कर रह जाते हैं। हम दशहरा मेला से आज लाए हैं आपके लिए बच्चों की झूलों पर मस्ती।