
-द ओपिनियन-
हिमाचल प्रदेश में चुनावी घमासान तेज हो गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। लेकिन इस बार चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के लिए आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में है और उसने अपना राजनीतिक धरातल तैयार करने के लिए पूरा दम लगा रखा है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सोमवार को प्रदेश के दौरे पर थीं । उन्होंने मंडी में पार्टी की परिवर्तन संकल्प रैली को संबोधित किया। वहीं भाजपा की ओर से उसके मुख्य रणनीतिकार व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्य का दौरा किया और चुनाव सभाओं को संबोधित किया। भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही बागियों का सामना करना पड़ रहा है और दोनों ने इनके खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। कांग्रेस ने कई बागियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है और भाजपा ने भी छह बागियों को निलम्बित कर दिया है। राज्य की 68 सदस्यीय विधानसभा के लिए 413 उम्मीदवार मैदान में है। करीब दो दशक से हिमाचल में एक बार कांग्रेस व एक बार भाजपा सत्ता में आती रही है। इस बार भाजपा के सामने इस परम्परा को तोड़ने की चुनौती है और उसकी राह भी आसान नहीं है। उसे बागियों से भी निपटना है और सत्ता विरोधी रूझान से भी। इसके अलावा सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को लेकर आंदोलनरत हैं। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा कर चुकी हैं। लेकिन भाजपा ने अभी तक इस बारे में दो टूक बात नहीं कही है। पार्टी चार नवम्बर को अपना दृष्टिप़त्र जारी करेगी। समझा जाता है कि पार्टी नाराज कर्मचारियों को संतुष्ट करने के लिए दृष्टिपत्र में अपना रुख साफ कर सकती है। अब देखना है कि वह क्या रास्ता निकालती है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र 5 को संभव
दूसरी ओर कांग्रेस एक से बढकर एक कई वादे कर चुकी है। पार्टी अपना घोषणा पत्र 5 नवम्बर को जारी करेगी। संभवतः पार्टी अपने घोषणा पत्र में उन 10 गारंटियों का फिर से उल्लेख करे जो वह अब तक प्रदेश की जनता को दे चुकी है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पं धनीराम शांडिल को घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।समाज के विभिन्न वर्गों से चर्चा कर पार्टी ने अपना घोषणा पत्र तैयार किया औ फिर मंजूरी के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया।
सामाजिक समीकरण
हिमाचल की राजनीति में ब्राह्मण व राजपूत मतदाता ज्यादा प्रभावी हैं। आबादी के हिसाब से राजपूत 30-35 प्रतिशत व ब्राह्मण 18 प्रतिशत माने जाते हैं। राजनीति की धुरी भी वे ही बने हुए हैं। कांग्रेस की राजनीति में पिछले तीन चार दशक से वीरभद्र सिंह का प्रभाव रहा। वे ही पार्टी के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बनते रहे। उनके निधन के बाद पार्टी ने अपनी कमान फिलहाल उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को सौंप रखी है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह भी चुनाव मैदान में है। भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से आते हैं और ब्राह्मण समुदाय से हैं। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राजपूत हैं और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी राजपूत समुदाय से हैं। अनुराग ठाकुर के पिता प्रेमकुमार धूमल राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं और पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में से रहे हैं। प्रदेश के गठन के बाद से ही राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी एक बार को छोड़कर राजपूत नेताओं के पास ही रही है। भाजपा के शांता कुमार मुख्यमंत्री बनने वाले एक मात्र ब्राह्मण नेता हैं। पिछली विधानसभा में चुनाव जीतकर आने वालों में जातिगत आधार पर राजपूत सर्वाधिक हैं।