विधानसभा उपचुनाव: हवा का रुख भांपने के काम आएगा यह चुनाव

सरदारशहरः क्या कांग्रेस करेगी सहानुभूति की लहर पर सवारी 

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-द ओपिनियन-

राजस्थान में सत्तारूढ पार्टी में सियासी खींचतान के बीच सरदार शहर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 5 दिसम्बर होगा। निर्वाचन आयोग ने सरदार शहर समेत पांच विधानसभा सीटों व एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा की है। सरदार शहर सीट के लिए उपचुनाव कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगा। दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी खींचतान रह रहकर सामने आती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान राजस्थान में पार्टी की अंदरूनी खींचतान खासतौर पर उभर कर सतह पर आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद पूर्व उपमुख्यमतंत्री सचिन पायलेट जिस तरह खुलकर बोले उससे लगता है कि पार्टी में सब कुछ सहज नहीं है। ऐसे में यह उपचुनाव पार्टी के लिए खासतौर पर चुनौतीपूर्ण होगा। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यह उपचुनाव हवा का रुख पहचानने में भी मददगार होगा। और बाद मे सत्ता की दावेदार पार्टियों के लिए अपनी चुनावी व्यूहरचना के लिए इसके नतीजे काफी कारगर होंगे।

कांग्रेस का प्रभाववाला क्षेत्र

सरदारशहर कांग्रेस का गढ रहा है। सरदारशहर राजस्थान के चूरू जिले में आता है और परम्परागत रूप से यह कांग्रेस का प्रभाववाला क्षेत्र रहा है। हालांकि भाजपा ने भी इस क्षेत्र में अपने पैर जमाएं हैं और राज्यविधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड चूरू जिले की तारानगर सीट का ही विधानसभा में प्रतिनिधत्व करते हैं। कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के कारण सरदारशहर सीट रिक्त हुई है। शर्मा ब्राह्मण समाज के कद्दावर नेता रहे हैं और अपने क्षेत्र की राजनीति की धुरी भी रहे हैं। वह यहां से सात बार विधायक रह चुके हैं। वे लोकदल, जनतादल से होेते हुए कांग्रेस में पहुंचे। कांग्रेस के टिकट पर चार बार विजयी रहे। उनका जमीनी स्तर पर अच्छा प्रभाव रहा है। इसलिए कांग्रेस यह सीट वापस लाने के लिए कोई कसर छोडने वाली नहीं है।

सहानुभूति लहर की अहम भूमिका

उपचुनावों में सहानुभूति लहर की अहम भूमिका रहती है। इस दृष्टि से देखें तो कांग्रेस का पलड़ा यहां फिलहाल भारी है। यहां कांग्रेस के पास जनाधार है और वह सहानुभूति लहर का सहारा भी ले सकती है। इस हिसाब से कांग्रेस यहां से भंवरलाल शर्मा के परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है। यदि ऐसा हुआ तो भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा सीट के संभावित दावेदार में से एक हैं। हालांकि टिकट के संभावित दावेदारों में लालचंद मूंड व ताराचंद सहारण के नाम भी लिए जा रहे हैं। भाजपा की ओर से संभावित दावेदारों में फिलहाल पूर्व विधायक अशोक कुमार व चुरू के प्रधान व जिला प्रमुख रह चुके हरलाल सहारण व भाजपा विधि प्रकोष्ठ के संयोजक रह चुके शिवचरण साहू के नाम राजनीतिक चर्चाओं की हवा में तैर रहे हैं।

सात विधानसभा उपचुनावों में से पांच जीते

गहलोत सरकार राज्य में अब तक हुए सात विधानसभा उपचुनावों में से पांच जीत चुकी है। हालांकि उसकी इस जीत में सहानुभति लहर की अहम भूमिका रही है। भाजपा व आरएलपी ने उपचुनावों में एक एक सीट जीती है। ऐसे में कांग्रेस सरदारशहर से भी सहानुभूति की लहर पर सवार कर सकती है।

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