आंखों देखीः पक्षियों को भोजन और आवास नहीं मिलेगा तो वे कहां टिकेंगे

गामछ गांव के पास चंबल नदी में हम ने एक बार में चालीस तक सारस देखे हैं। उम्मेदगंज हर प्रकार के पक्षी जैसे चार तरह के किंग फिशर, कई तरह के फ्लाईकैचर, वुड पैकर, ग्रे हॉर्नबिल, ग्रीन बी ईटर, कई तरह के स्टार्क और शिकारी पक्षी हमने देखे हैं, लेकिन अब यहां पर ये पक्षी दिखाई नहीं देते हैं।

dk1

-देवेन्द्र कुमार शर्मा-

देवेन्द्र कुमार शर्मा

कोटा। हम विकास के नाम पर प्रकृति को कितना नुकसान पहंुचा रहे हैं इसका उदाहरण कोटा और इसके आसपास के क्षेत्र में लगातार कम हो रही विविध प्रजाति के पक्षियों की कमी से पता चलता है। जिस तरह कांक्रीट के जंगल खडे किए जा रहे हैं उससे हरियाली और पेड गायब हो रहे हैं। जब पक्षियों को भोजन और आवास नहीं मिलेगा तो वे कहां टिकेंगे। मैने पिछले पांच साल में ही कोटा में स्थिति में बडा बदलाव देखा है।

 

फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

पक्षियों की गतिविधियों में रुचि होने के कारण वर्ष 2017 में मैनें बर्ड फोटोग्राफी के लिए कैमरा खरीदा था। कोटा क्षेत्र में वर्ष 2017 और 2018 में तरह-तरह के बहुत सुंदर पक्षी दिखते थे। उनके फोटो लेने में भी मजा आता था। उनकी अठखेलियों को देखना और उन्हें कैमरे में कैद करना अत्यंत सुखद अनुभव होता था।

उस समय स्थिति यह थी कि गामछ गांव के पास चंबल नदी में हम ने एक बार में चालीस तक सारस देखे हैं। उम्मेदगंज हर प्रकार के पक्षी जैसे चार तरह के किंग फिशर, कई तरह के फ्लाईकैचर, वुड पैकर, ग्रे हॉर्नबिल, ग्रीन बी ईटर, कई तरह के स्टार्क और शिकारी पक्षी हमने देखे हैं, लेकिन अब यहां पर ये पक्षी दिखाई नहीं देते हैं। आप को याद होगा 2019 में सांभर लेक में पच्चीस हजार से अधिक देशी विदेशी पक्षी मारे गए थे।

फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

इसके बाद 2019 में चंबल में अपूर्व बाढ़ आई जिससे नदी के किनारे लगे हजारों पेड़ नष्ट हो गए। इस से भी पक्षियों के हैबिटाट खत्म हुए और पक्षियों की संख्या भी कम होती गई।

फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

रावतभाटा रोड से लगे रथ कांकरा और बंधा धरमपुरा गांव में भी बहुत दुर्लभ पक्षी दिखाई देते थे। लेकिन अब नहीं हैं। जिस का कारण भी निर्माण कार्य ही हैं। चंद्रेशल रोड कोटा पर भी काफी पेड़ थे और उन पर पक्षी अपने बसेरे बनाते थे।
लेकिन वहां भी नाले को पक्का करने के चक्कर में सारे पेड़ और झाड़ियां काट दी गई और यहां से भी पक्षी गायब हो गए। आज मैं चंबल नदी पर गया था। यहां इन दिनों तरह तरह के जलीय पक्षी दिखते थे लेकिन आज पानी में एक भी पक्षी नही दिखा।

फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

आए दिन विकास के नाम पर कही सडक चौडी करने तो कहीं अन्य निर्माण के नाम पर पेड काटे जा रहे हैं। वैज्ञानिक रुप से इतनी तरक्की करने के बावजूद हम प्रकृति को बचाने के बजाय इसे नष्ट करने पर तुले हैं। जबकि होना यह चाहिए कि कुशल इंजीनियर किसी भी तरह के निर्माण से पूर्व इस तरह की डिजाइन बनाए ताकि पेड पौधे नष्ट नहीं हों।

फोटो देवेन्द्र कुमार शर्मा

(लेखक पर्यावरण, वन्य जीव एवं पक्षियों के अध्ययन के क्षेत्र में कार्यरत हैं)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments