बेगू प्रकरणः दोहरे हत्याकांड के पांच आरोपियों को उम्र कैद की सज़ा

उक्त प्रकरण में कुल 9 अभियुक्त थे जिनमें से राजेश कमांडो, भानु प्रताप की मृत्यु हो गयी , जबकि अंतिम निर्णय के पूर्व दिग्विजय उर्फ बिट्टू को अनुपस्थित होने पर मफरूर घोषित किया। सुमेर सिंह के विरुद्ध पृथक से कार्यवाही विचाराधीन है।

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फोटो साभार अमित पारीक

-अख्तर खान अकेला-

akhtar khan akela
अख्तर खान अकेला

(अपर लोक अभियोजक)
कोटा। अपर जिला जज क्रम 5 के न्यायाधीश ने 13 साल पहले जोगणिया माता पुलिस थाना बेगू ज़िला चित्तौड़ में बृजराज सिंह उर्फ बबलू और जीतू उर्फ जितेंद्र सिंह की सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड के पांच आरोपी नंदू उर्फ नरेंद्र सिंह, भाया उर्फ सत्येंद्र सिंह , किशन जंगम, वसीम खान, सुश्री शाहीन को उम्र कैद की सज़ा से दण्डित किया है। वसीम खान और सुश्री शाहीन ज़मानत पर आज़ाद थे। दोनों कों कस्टडी में लेकर जेल भेजा गया। इस प्रकरण में सत्येंद्र के अलावा अन्य सभी अभियुक्त ज़मानत पर आज़ाद थे। लेकिन अन्य प्रकरण में न्यायिक अभिरक्षा में होने से किशन जंगम, नन्दू उर्फ नन्द सिंह प्रोडक्शन वारंट से पेश हुए।
उक्त प्रकरण में कुल 9 अभियुक्त थे जिनमें से राजेश कमांडो, भानु प्रताप की मृत्यु हो गयी , जबकि अंतिम निर्णय के पूर्व दिग्विजय उर्फ बिट्टू को अनुपस्थित होने पर मफरूर घोषित किया। सुमेर सिंह के विरुद्ध पृथक से कार्यवाही विचाराधीन है।
कोटा निवासी सूरज सिंह फरियादी ने दिनाक 12 मई 2009 को चित्तोड़ ज़िले के बेगू थानक्षेत्र में एक लिखित एफआईआर में बताया कि मुझे रात को लगभग 8 बजे टेलीफोन पर सुचना मिली कि पिंटू उर्फ़ जितेंद्र सिंह आत्मज रामसिंह और बबलू उर्फ़ बृजराज सिंह भारत सिंह राजपूत, निवासी खेड़ली फाटक कोटा को फॉर लाइन रोड मेनाल जिला चित्तौड़गढ़ के पास , जोगणिया माता जी के यहां जाने वाले रास्ते के पास झरने की तरफ भानु प्रताप आत्मज देश राज सिंह, निवासी डूडा खानपुर जिला झालावाड़, नंदू उर्फ़ नरेंद्र सिंह आत्मज रतन सिंह राजपूत, निवासी रायपुरा कोटा, सुमेर सिंह आत्मज दीप सिंह राजपूत निवासी महावीर नगर कोटा, राजेश कमांडो जादोन निवासी दोस्तपुरा, कोटा बिट्टू उर्फ़ दिग्विजय दीक्षित निवासी महावीर नगर कोटा, सत्येंद्र उर्फ़ भाया निवासी, आर के पुरम कोटा एवं इनके साथ एक आदमी और था जिन्होंने उन पर हथियारों से गोलियां चलाकर जितेन्द्र सिंह व् बृजराज सिंह की हत्या कर दी। मौके पर तेजपाल सिंह जादोन, निवासी खंड गांवड़ी सिविल लाइंस कोटा, मोहन शर्मा आत्मज जगदीश शर्मा निवासी दोस्तपुरा कोट , जो मोटर साइकल से जोगणिया माता से पीछे पीछे आ रहे थे उन्होंने घटना देखी है। सूरज सिंह ने एफआईआर में लिखा कि मेरे भाईसाहब , बृजराज सिंहजंगम व् एक लड़की और थे जो जोगणिया माता दर्शन करने गए थे। ,अचानक हुए हमले में जंगम और लड़की बचकर भाग गए तथा तेजपाल सिंह, मोहन शर्मा भी मोटर साइकल से भाग गए। सूरज सिंह ने शिकायत में लिखा कि मैं व् नरेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह व् देवेंद्र सिंह सहित अन्य को लेकर मेनाल आया। जहाँ देखा कि मेरे भाई पिंटू उर्फ़ जितेंद्र सिंह व् बृजराज सिंह की लाशें खून से लथपथ पडी हुई हैं। जिनके शरीर पर कई गोर्लियों के निशाँन हैं। मेरे भाई पिंटू उर्फ़ बृजराज सिंह को भानु प्रताप सिंह, नन्दू उर्फ़ नरेंद्र सिंह, सुमेर सिंह, राजेश कमांडो, बिट्टू उर्फ़ दिग्विजय, सत्येंद्र उर्फ़ भाया व एक अन्य आदमी ने गोलियों से हत्या कर दी हैं। घटना शाम के साढ़े सात बजे आसपास की है। बृजराज सिंह व् भानु प्रताप की पुरानी रंजिश हैं। लाला हत्याकांड में बृजराज सिंह मुख्य गवाह है। इस वजह से मुल्जिमान ने षड्यंत्र रचकर हथियारों से लेस होकर इनकी निर्मम हत्या कर दी हैं।
बेगू चित्तोड़ पुलिस ने इस लिखित रिपोर्ट पर एफ आई आर नंबर 129 /2009 अंतर्गत धारा 107 ,148 ,149 ,302 ,120 बी आई पी सी व् 3 / 25 आर्म्स एक्ट में मुक़दमा दर्ज कर तफ्तीश प्रारम्भ की। पुलिस ने अनुसंधान के दौरान मौके से कारतूस, पत्थर, खून आलूदा मिट्टी वगैरह बरामद की। उक्त प्रकरण को चित्तोड़ न्यायालय में गवाहों फरियादी को जान का खतरा होने से राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कोटा जिला जज में पत्रावली को ट्रांसफर किया गया। जिसकी सुनवाई अपर जिला जज क्रम 5 के समक्ष हुई और अभियुक्त सत्येंद्र भाया की ज़मानत सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकरण में त्वरित सुनवाई, त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए। पुलिस ने इस प्रकरण में, भानु प्रताप, राजेश कमांडो, नंदू उर्फ़ नरेंद्र, बिट्टू उर्फ़ दिग्विजय, भाया उर्फ़ सत्येंद्र, वसीम, शाहिना को गिरफ्तार किया। मोबाइल, सीसीटीवी फुटेज, घातक हथियार ,, कारतूस बरामद किए। जबकि सुमेर सिंह के मफरूर होने से उसके खिलाफ मफरूरी में चालान पेश किया। वह बाद में गिरफ्तार हुआ। उसकी पत्रावली पृथक से विचारणीय है। विचारण के दौरान भानु प्रताप, राजेश कमांडो की मृत्यु हो गई जबकि , सुमेर सिंह की कार्यवही पृथक से विचाराधीन है। इस तरह इस प्रकरण में नन्दू उर्फ़ नरेंद्र , बिट्टू उर्फ़ द्ग्विजय, भाया उर्फ़ सत्येंद्र, वसीम और शाहिना के खिलाफ मामला विरचित हुआ। विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से 65 गवाह परीक्षित करवाए। जबकि 139 दस्तावेज प्रदर्श कराये। इसी प्रकरण में वजह सुबूत ज़ब्त पिस्तौल, कारतूस, रिवॉल्वर, शरीर से निकली गोलियां, मोबाइल वगेर सहित 26 आर्टिकल कोर्ट में प्रस्तुत किए। ,उक्त प्रकरण बेगू चित्तोड़ थानाक्षेत्र का था किन्तु फरियादी और गवाहान की सुरक्षा की दृष्टि से उच्च न्यायलय में आवेदन पेश होने पर उक्त प्रकरण कोटा न्यायालय में, सुनवाई के लिए स्थानांतरित हुआ, जो पहले जिला जज कोटा फिर जिला जज क्रम दो के यहां विचाराधीन रहने के बाद, वर्ष 2019 में अपर जिला जज क्रम पांच के यहां सुनवाई के लिए स्थनांतरित हुआ था।
न्यायालय अपर जिला जज क्रम 5 कोटा ने आज उक्त प्रकरण की सुनवाई के बाद आज पांचों अभियुक्त को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्र कैद ओर जुर्माने से दंडित किया है। अपने 103 पृष्ठ के फैसले में न्यायालय ने अभियुक्त नंदू उर्फ़ नरेंद्र , सत्येंद्र उर्फ़ भाया, किशन जंगम, शाहिना खान को हत्या के मामले में दंडित करते हुए बृजराज सिंह की हत्या के मामले में और जितेंद्र सिंह की हत्या के दोनों मामलों में अलग अलग सज़ा से दण्डित करते हुए मृत्यु होने तक आजीवन जेल में रहने की सज़ा सुनाई हैं। जबकि दोनों हत्याकांड में सभी चारों आरोपियों को पृथक पृथक , पचास हज़ार रूपये का जुर्माना देना होगा। अदम अदायगी छह माह की सज़ा प्रथक से भुगतेंगे। इसी तरह , 148 आई पी सी में सभी चारों अभियुक्तों को तीन वर्ष के पृथक पृथक कारावास की सज़ा भुगतना होगी। जबकि पांच हज़ार रूपये का जुर्माना देना होगा। अदम अदायगी जुर्माना , पंद्रह दिन का पृथक से कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने उक्त प्रकरण में नंदू उर्फ़ नरेंदर को आर्म्स एक्ट की धारा 3 /25 में तीन वर्ष के कारावास की पृथक से सज़ा सुनाई है। जबकि अभियुक्त वसीम को हत्या के षड्यंत्र के आरोप में दोनों अलग अलग मृतकों बृजराज सिंह, जितेंद्र सिंह की हत्या मामले में मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की अलग अलग सजाये और पचास पचास हज़ार के जुर्माने से दंडित किया है। सभी सजाये साथ चलेंगी, जबकि भुगती हुई सज़ा समायोजित होगी। प्रकरण में, राजेश कमांडो , भानु प्रताप की म्रत्यु हो गई है, जबकि सुमेर सिंह के खिलाफ प्रकरण विचाराधीन है। अन्य अभियुक्त दिग्विजय उर्फ़ बिट्टू फरार घोषित है। इसलिए पत्रावली सुरक्षित रखने के नोट अंकन के साथ पत्रावली सुरक्षित रखने के निर्देश भी हैं।

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