नगर निगम बंट गया लेकिन आवारा मवेशी उत्तर की जिम्मेदारी

-कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति के अध्यक्ष का गंभीर आरोप: निगम प्रशासन आवारा मवेशियों के रखरखाव के मामले में गंभीर लापरवाही बरतते हुए कोटा शहर को कैटल- फ्री करने के नगरीय विकास मंत्री श्री धारीवाल के सपने को तोड़ने पर आमादा है

nagarnigam goshala

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के नगर निगम को भले ही दो भागों उत्तर और दक्षिण में बांट दिया हो, लेकिन पुनर्गठन के करीब दो साल बाद भी कोटा में आवारा मवेशियों की धरपकड़ के बाद उन्हें रखने, देखभाल करने की जिम्मेदारी अभी भी पूरी तरह से कोटा नगर निगम दक्षिण को अकेले ही वहन करनी पड़ती है। इसी को लेकर कोटा नगर निगम दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष का यह गंभीर आरोप है कि निगम प्रशासन कोटा शहर को कैटल-फ्री करने के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के प्रयासों पर पानी फेरने पर आमादा है।

कोटा नगर निगम उत्तर की न तो अभी तक अपनी कोई गौशाला है और ना ही का इन कायन हाउस। नगर निगम उत्तर में धाकड़खेड़ी में एक पुराना कायन हाउस है जिसे विकसित किए जाने का दावा किया जाता रहा है, लेकिन निगम प्रशासन ने अभी तक उसका उपयोग शुरू नहीं किया है। अभी स्थिति यही है कि यदि कोटा उत्तर में कहीं से बेपरवाह छोड़े गए एक भी मवेशी को पकड़ा जाता है तो उसे कोटा दक्षिण के किशोरपुरा स्थित कायन हाउस या बंधा-धर्मपुरा की गौशाला में ले जाना पड़ता है।

यहां तक कि दोनों नगर निगम में घायल मवेशियों को लाने के लिए मात्र दो एंबुलेंस हैं और दोनों ही निगम दक्षिण के अधिकार क्षेत्र की है। अभी कोटा उत्तर क्षेत्र में घायल मिलने वाले मवेशियों को नगर निगम दक्षिण की एंबुलेंस से ही लाना और उसी के कायन हाउस या गौशाला में रखना पड़ता है। पिछले दिनों जब संक्रामक रोग लंपी का प्रकोप हुआ था,तब सबसे अधिक लंपी पीड़ित गौवंश कोटा नगर निगम उत्तर क्षेत्र में मिले थे जिन्हे दक्षिण की किशोरपुरा स्थित कायन हाउस में रखकर इलाज करवाना पड़ा था। गौशाला समिति को यह भी बड़ी शिकायत है कि उत्तर क्षेत्र में पकड़े जाने वाले या बीमार-घायल मवेशियों को लाने से लेकर उन्हें रखने, चारे,दवाईयों के सारे प्रबंध का वित्तीय उत्तरदायित्व दक्षिण निगम के हिस्से में आता है। इनमें से किसी का भी वित्तीय उत्तरदायित्व नगर निगम उत्तर वहन करने को तैयार नहीं है। नगर निगम उत्तर का तो देखरेख के लिए एक कर्मचारी भी तैनात नहीं है।

इस संबंध में दक्षिण गोशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू पहले ही अपनी रिपोर्ट लिखित में निगम प्रशासन को सौंप चुके हैं और इन हालातों से लगातार महापौर और आयुक्त-उपायुक्त को अवगत कराते रहे रहते हैं लेकिन नगर निगम उत्तर की ओर से अभी तक शहर में पकड़े जाने वाले या बीमार मवेशियों को रखने की प्रथक व्यवस्था तक नहीं की गई है। समिति को यह भी शिकायत है कि यदि निगम उत्तर के क्षेत्र में पकड़े गए किसी मवेशी को छुड़ाने की एवज में कोई राजस्व प्राप्त होता है तो वह अपनी हिस्सेदारी मांगने से नहीं चूकते।

समिति अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने गंभीर आरोप लगाया कि निगम प्रशासन आवारा मवेशियों के रखरखाव के मामले में गंभीर लापरवाही बरतते हुए कोटा शहर को कैटल- फ्री करने के नगरीय विकास मंत्री श्री धारीवाल के सपने को तोड़ने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर शहर से मवेशियों की धरपकड़ के अभियान चलाने के आदेश तो दे दिए जाते हैं, लेकिन धरपकड़ के बाद उन्हें कहां रखा जाएगा, इसके बारे में कोई अभी तक सोचने को तैयार नहीं है।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिला कलक्टर को दोनों निगमों के महापौर, आयुक्तों और नगर विकास न्यास के अधिकारियों के साथ किशोरपुरा कायन हाउस और बंदा-धर्मपुरा की गौशाला का व्यक्तिश: अवलोकन करना चाहिए और वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद ही कोटा शहर में विचरण करने वाले आवारा मवेशियों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाने के संबंध में तर्कसंगत फैसला करना चाहिए क्योंकि अतिरिक्त गौवंश रखने के प्रबंध किए बिना शहर से मवेशियों की धरपकड़ का अभियान बेमानी है। आवश्यकता इस बात की है कि बंदा-धर्मपुरा में निगम की पांच बीघा भूमि के बाड़े की चारदीवारी ऊंची करवा कर उसे गौशाला के रूप में विकसित किया जाए ताकि वहां कम से कम दो हजार अतिरिक्त मवेशियों को रखने की व्यवस्था हो सके।

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