
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भोर नेशनल पार्क से लाये बाघिन टी- 114 के दोनों शावकों ने कोटा के अभेड़ा स्थित बायोलॉजिकल पार्क में अपना तीसरा दिन शांति के साथ आपस में अठखेलिया करते हुये बिताया। दोनों ने सॉफ़्ट मटन का सेवन किया। दोनों शावकों को गहगागहम से अलग शान्त माहौल में चौबीसों घंटे की कैमरे की निगरानी के बीच रखा जा रहा है और उनकी हर सुख-सुविधा एवं जरुरत का ख़्याल रखा जा रहा है ताकि कोई असुविधा नहीं हो।
सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर बाघ परियोजना की मादा बाघिन टी-114 की मृत्यु हो जाने से उसके दो जीवित शावकों को मंगलवार देर रात्रि में रणथम्भौर बाघ परियोजना से वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. सीपी मीणा की टीम के साथ कोटा अभेड़ा बॉयोलोजिकल पार्क में भिजवाया गया।
उप वन संरक्षक (वन्यजीव) सुनील गुप्ता ने बताया कि दोनों शावकों को नाइट शेल्टर कैज में रखा गया है जहां सीसीटीवी कैमरे लगाकर 24 घंटे स्टाफ द्वारा मॉनिटरिंग का कार्य किया जा रहा है, दोनों शावक स्वस्थ हैं। शावको को वरिष्ठ पशु चिकित्सकों के दिए गए परामर्श के अनुसार खाद्य सामग्री दी जा रही है। शावकों को आमजन से दूर रखा गया है तथा नाइट शेल्टर कैज में सर्दी से बचाव के लिए एग्रोनेट से कवर कर पराल बिछाकर बाहर की तरफ हीटर लगाया गया है जिससे शावकों को प्राकृतिक आवास जैसा वातावरण उपलब्ध हो सकें।
उल्लेखनीय है कि रणथम्भौर नेशनल पार्क की सीमा से सटे टोडरा-दोलाड़ा गांव के माल के एक खेत में बाघिन टी-114 और उसके एक शावक की मृत्यु हो जाने के बाद उनके शव बरामद किए गए थे और यह आशंका जताई जा रही है कि बाघिन और उसके शावक की मौत की वजह कड़ाके की ठड़ रही है।
बाघिन की मौत के बाद उसके यह दोनों शावक उसके आसपास ही देखे गए थे। इस बारे में सूचना मिलने पर सवाई माधोपुर से गई वन विभाग की टीम ने इन दोनों शावकों को अपने कब्जे में लिया था और उन्हें बाद में पशु चिकित्सक की देखरेख में एक टीम के साथ वाहन से
कोटा के लिए रवाना किया था।
समझा जाता है कि इन शावकों के परिपक्व हो जाने के बाद उन्हें बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिये कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व या बूंदी जिले के रामगढ अभयारण्य ने छोड़ा जा सकता है, लेकिन अभी इसमें काफी समय बाकी है और इस बारे में फैसला बाद में किया जाएगा। हालांकि सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी ने इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया है कि दोनों शावकों के परिपक्व होने के बाद उन्हें कोटा, झालावाड़ जिलों एवं चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा इलाके के वन क्षेत्र को मिलाकर बनाए गए। मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क में स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ा जा सकता है। यह दोनों ही नर शावक है। वैसे भी तब तक यह दोनों यहां के माहौल के अनुरूप अपने को ढल चुके होंगे और चूंकि सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क पहले ही ‘अोवर क्राउडेड़’ है, ऎसे में इन शावकों का यही रहना उपर्युक्त है।
फिलहाल इस बात की दरकार महसूस की जा रही है कि बाघिन टी-114 के इन दोनों शावकों का अच्छे से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लालन-पालन किया जाए और हर मुमकिन तरीके से उन्हें सुरक्षित रखा जाए इसीलिए इन दोनों शावकों को केवल विभागीय कर्मचारियों की देखरेख में ही रखा जा रहा है। इन्हें किसी बाहरी व्यक्ति के देखने के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।