
– विवेक कुमार मिश्र

फूल पत्ती अकेले नहीं होते
फूल के रंग में
मन का रंग रच जाता
फूल के रंग और रूप के साथ
पृथ्वी ही नाचती
फूल अकेले नहीं खिलते
फूल के साथ
मन के रंग खिलते
पृथ्वी के गंधवान होने में
रंग व माटी के संस्कार
के साथ पृथ्वी पर जीवन खिलता
पृथ्वी पर आश्चर्य फूलों के साथ
इस तरह पृथ्वी पर
बसंत का आगमन
रंगों के खिलने से रच जाता ।
– विवेक कुमार मिश्र
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