
-द ओपिनियन-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों की क्या अहमियत है यह रविवार को राज्यपालों की नियुक्ति से साफ हो गई है। रविवार को प्रदेश से दो और राज्यपाल बनाने के बाद अब उत्तर प्रदेश से सात राज्यपाल और उपराज्यपाल हो गए हैं। इनमें पांच अकेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के पूर्वांचल क्षेत्र से हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शिव प्रताप शुक्ला और लक्ष्मण आचार्य को क्रमशः हिमाचल प्रदेश और सिक्किम का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश से राज्यपाल या उपराज्यपाल के उच्च संवैधानिक पद पर आसीन लोगों की संख्या पांच हो गई है। यह संख्या देश में किसी भी क्षेत्र या राज्यों में सर्वाधिक संख्या है।
राज्य में भाजपा के लिए लंबे समय तक सेवा करने वाले इन नेताओं को समायोजित करने के अलावा, यह भी लगता है कि इन नामांकनों के माध्यम से भगवा पार्टी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी जाति और सामाजिक अंकगणित को संतुलित करने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने इन नियुक्तियों के बहाने उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्वांचल को साधने की कोशिश की है जहां से ये नेता आते हैं। इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी करते हैं। इसी क्षेत्र में वर्चस्व वाले सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है।
श्रीनगर में राजभवन में काबिज मनोज सिन्हा पूर्वांचल के गाजीपुर के रहने वाले हैं। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र भी गाजीपुर से ताल्लुक रखते हैं और राज्य में बीजेपी की चार सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा बिहार से मेघालय स्थानांतरित किए गए फागू चैहानपूर्वांचल के आजमगढ़ से संबंधित हैं। हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल के रूप में नियुक्त शिव प्रताप शुक्ला गोरखपुर से हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में मंत्री के साथ.साथ केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया है। वहीं सिक्किम के राज्यपाल के रूप में नियुक्त लक्ष्मण प्रसाद आचार्य वाराणसी के हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है।
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि प्रदेश से दो ताजा नियुक्तियों में एक ब्राह्मण की नियुक्ति के पीछे निश्चित रूप से मंशा कहीं न कहीं संघ प्रमुख के पंडितों को लेकर दिए गए बयान की प्रतिक्रिया को रोकना है।