
स्कूल में गाई जाने वाली प्रार्थना
-मनु वाशिष्ठ-

#हमारे समय में, लगभग सभी उत्तर-भारतीय सरकारी स्कूलों में सुबह यह प्रार्थना, बच्चों द्वारा गाई जाती थी। तीन, चार बच्चे स्टेज पर खड़े होकर संगीतमय प्रस्तुति देते थे, और बाकी सभी बच्चे उनका अनुसरण करते थे। और वो है यह #प्रार्थना__ “वह शक्ति हमें दो दयानिधे! कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।” मुझे आज भी यह प्रार्थना याद है, हो सकता है आपको भी याद हो। इसके अतिरिक्त उस समय मिलने वाली कॉपियों के अंतिम पृष्ठ पर भी ये प्रार्थना अंकित होती थी। कई बार “गाने नन्हा मुन्ना राही हूं, देश का सिपाही हूं” जैसे फिल्मी गाने भी छपे होते थे।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें!
पर-सेवा पर-उपकार में हम, जग-जीवन सफल बना जावें!!
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के सेवक बन संताप हरें!
जो हैं अटके, भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जावें!!
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें!
जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें!!
निज आन-बान, मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे!
जिस देश-जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें!!
__ मनु वाशिष्ठ कोटा जंक्शन राजस्थान
बाल्यावस्था में सरकारी प्राथमिक पाठशाला में तख्ती की पट्टी,खडिया आदि लेकर पाठशाला जाते थे, पाठशाला में प्रात:समय वह शक्ति हमें दो दया निधे नामक प्रार्थना सभी छात्र मिलकर गाते थे