
कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में पहली बार एक शेरनी का पदार्पण हुआ है जिसे जयपुर से कोटा लाया गया है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर के निर्देशन में सोमवार को सुहासिनी नाम की शेरनी को नाहरगढ़ बायोलोजिकल पार्क से अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया है।
उप वन संरक्षक वन्य जीव सुनील गुप्ता ने बताया कि केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से प्राप्त स्वीकृति से एक-एक बाघ-बाघिन तथा एक नर शेर को नाहरगढ़ बायोलोजिकल पार्क जयपुर से अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क में शिफ्ट करने की स्वीकृति मिली है जिसकी पालना में शेरनी सुहासिनी को नाहरगढ़ बायोलोजिकल पार्क से सीजेडए की प्रोटोकॉल की पालना करते हुए अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया गया है। 5 जनवरी 2012 को जन्मी सुहासिनी को सन् 2016 में बैनरगट्टा जूलोजिकल पार्क बैंगलुरु कर्नाटक से नाहरगढ़ बायोलोजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया था।
श्री गुप्ता ने बताया कि शेरनी को नियमानुसार 21 दिवस क्वारेंटाइन किया जाएगा एवं नियमित रूप से स्वास्थ्य का परीक्षण वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विलासराव गुल्हाने द्वारा किया जाएगा। इसके बाद पर्यटकों के लिए डिस्प्ले किया जाएगा। वर्तमान में शेरनी का वजन 210 किग्रा है तथा डाइट में आठ किलो पाड़ा मांस एवं चार किलो चिकन दिया जा रहा है।

इस बीच करीब दो माह पहले सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भोर नेशनल पार्क के पास मिलने के बाद अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क में लाये गये एक बाघिन के दोनों शावक स्वस्थ हैं। वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ विलासराव गुल्हाने के अनुसार दोनों शावक पर्याप्त मात्रा में बॉयलर मीट का सेवन कर रहे हैं, दोनों शावकों को केट मिल्क रिप्लेसर दिया जा रहा है। दोनों शावकों का वजन पहले से बढ़ गया है।
उप वन संरक्षक वन्य जीव श्री गुप्ता ने बताया कि साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है, नाइट शेल्टर को सेनेटाइज करवाया गया है। शावकों की देखभाल कर रहे डॉ तेजेंद्र रियाड के अनुसार दोनों शावकों को प्राकृतिक वातावरण देने के लिए कराल एरिया में रिलीज किया गया हैं। शावक दिन में सोते हैं, शाम होते ही इनक्लोजर में चहल कदमी शुरू कर देते हैं। दोनों शावकों की सीसीटीवी के माध्यम से नियमित 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा रही है।