मुंबई। एक ओर दिग्गज मराठा नेता शरद पवार विपक्षी एकता के लिए राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर एकता की सियासी जमीन तैयार करने में जुटे हैं दूसरी ओर उनके खुद के राज्य और पार्टी के गढ महाराष्ट में दूसरा ही खेला हो रहा है। उनके भतीजे अजीत पवार महाराष्ट्र में भाजपा की डूबती नैया के खेवनहार बनने के रास्ते पर बढ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार चला रहे हैं। लेकिन उनके उपर दल बदल की तलवार लटक रही है। ऐसे में भाजपा ने एक बार फिर अजीत पवार पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। उन्हें शिंदे के अयोग्य घोषित किए जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। अजीत पवार शरद पवार के भतीजे हैं शरद पवार की पार्टी महाअघाडी गठबंधन का हिस्सा है। शिंदे के तख्ता पलट करने से पहले महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार थी। अजीत पवार की निगाह सीएम की कुर्सी पर है और वहे अपने सीएम बनने के सपने को साकार करने की जल्दी है। उनके पास 35-40 एनसीपी सांसदों का समर्थन है, इसलिए उन पर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा।

हालांकि, उनके खेमे के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि वह पार्टी के संस्थापक शरद पवार की सहमति प्राप्त करें ताकि भाजपा के साथ सरकार बनाने के 2019 जैसे संकट से बचा जा सके। तब अजीत पवार के समर्थन से भाजपा ने सरकार तो बना ली थी लेकिन यह टिक नहीं सकी क्योंकि शरद पवार का समर्थन नहीं था। वैसे भी वरिष्ठ नेता शरद पवार भाजपा से दूरी ही बनाए रखने के पक्ष में रहे हैं। उनकी राजनीति भाजपा की स्टाइल की राजनीति से मेल नहीं खाती है। एक तथ्य यह भी है कि शरद पवार अब भाजपा के खेमे में जाकर अपने जीवन भर की राजनीतिक जीवन की प्रतिष्ठा को दाव नहीं लगाना चाहते।
दूसरी ओर भाजपा को महाराष्ट्र विधानसभा से ज्यादा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर है। उद्धव ठाकरे का तख्ता पलटने के बाद से भाजपा की मुश्किलें बढ गई हैं क्योंकि जनता की सहानुभूति उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य के प्रति बढ़ी है। हालांकि उद्धव के हाथ से पार्टी का नाम और उसका प्रतीक निकल गया है। लेकिन मराठी मानुषों के मन में उनके प्रति ही ज्यादा सम्मान है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। भाजपा के एक आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार, महा विकास अघाड़ी गठबंधन का 33 पर दाव पक्का है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए केन्द्र की सत्ता में आने के लिए भाजपा महाराष्ट्र को खोना बर्दाश्त नहीं कर सकती है। भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में एक ऐसा मराठा चेहरा चाहती है जो वहां की मूल 35 प्रतिशत मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में कर सके। यही कारण है कि भाजपा अजित पवार पर डोरे डाल रही है।