कोटा में कोचिंग वालों ने फ़न-डे को बनाया “डेथ डे”

-महाराष्ट्र के लातूर के मूल रूप से रहने वाले एक कोचिंग छात्र तो आत्महत्या करने की इतनी जल्दबाजी में था कि अपने प्राणों की आहूति देने से पहले घर पर उसके लौटने की प्रतीक्षा कर रही नानी के अंतिम दर्शन करने या कराना भी जरूरी नहीं समझा और टेस्ट देने के तत्काल बाद अपने ही कोचिंग संस्थान की पांचवीं मंजिल से दौड़ता हुआ छठी मंजिल पर पहुंचा और उंचाई से नीचे कूदकर गगन की छांव में कहीं समा गया।

-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान के कोटा के कोचिंग संस्थान संचालक अपने आर्थिक संसाधनों के बूते पर अपने आप को न केवल स्थानीय पुलिस की बल्कि जिला मजिस्ट्रेट एवं उनके अधीन कार्य करने वाली सरकारी मशीनरी और अब तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक की नसीहत, आदेश-दिशा निर्देश की ही अवहेलना करने पर आमादा हैं।
मनमाने रवैया को अपना अधिकार मान चुके कोटा के कोचिंग संचालक उन तमाम सारे आदेशों, दिशा-निर्देशों को धता बता चुके हैं जिन्हें समय-समय पर राज्य सरकार और जिला प्रशासन पालना करने के निर्देश देता रहा है।
प्रशासन की ओर से जारी किए गए आदेशों में यह कहा तो जरूर जाता है कि इन आदेशों की सख्ती से पालना करवाई जाएगी लेकिन जो आदेश जारी किए जाते हैं, उनमें से शायद ही कोई आदेश हो जिसकी ज्यादातर कोचिंग संस्थान के संचालक पालन करते हैं।
नतीजा यह निकलता है कि कोटा में लगातार कोचिंग छात्रों में तनाव के चलते आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है लेकिन कोचिंग संस्थान संचालक अपनी मनमानी छोड़ने को राजी नही है। वे अपने आर्थिक ताकत के बूते पर हर आवाज को मौन कराने में सक्षम महसूस करते हैं। कोटा में रविवार को एक ही दिन में दो कोचिंग छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाओं ने इस बात को अच्छी तरह से साबित कर दिया क्योंकि खास बात यह है कि रविवार को अवकाश के दिन प्रशासन की ओर से यह दिशा निर्देश जारी किया हुआ है कि इस दिन न तो कोई कोचिंग कक्षा होगी न ही टेस्ट लिया जाएगा लेकिन इसके बावजूद कोटा के दो कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने संडे को फ़न डे के रूप में मनाने के आदेश के बावजूद रविवार को न केवल अपने कोचिंग संस्थान खोले बल्कि उस दिन बकायदा छात्रों का टेस्ट लिया। नतीजा यह निकला कि टेस्ट के बाद कोटा में दो कोचिंग छात्रों ने मौत को गले लगा लिया। आशंका जताई जा रही है कि टेस्ट देने के बाद संभवतः तनाव में एक कोचिंग छात्र तो आत्महत्या करने की इतनी जल्दबाजी में था कि वह कोचिंग संस्थान में टेस्ट देकर अपनी नानी के पास घर लौटने तक का भी विलंब नहीं करना चाहता था और उसने टेस्ट देकर तुरंत भागते हुए संस्थान की छठी मंजिल से कूदकर दर्दनाक तरीके से अपने प्राणों को गवा दिया जबकि दूसरे कोचिंग छात्र ने कुछ घंटे चिंतन-मनन में बिताने के बाद रात करीब आठ बजे बाद अपने घर पर फांसी के फंदे से लटककर जान दे दी।
अब पुरानी परिपाटी का परिवहन करते हुए प्रशासन ने फ़िर से ढिंढोरा पीटा है और वह यह है कि कोटा में कोचिंग छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं के मद्देनजर अगले दो महीनों तक कोटा का कोई भी कोचिंग संस्थान टेस्ट नहीं लेगा।
अपनी आर्थिक समृद्धि के कारण किसी भी आदेश की पालना नहीं करने के अभ्यस्त हो चुके कोटा के कुछ कोचिंग संस्थानों के मालिकों को इस आदेश की पालना कराने वाला मरीचिका जैसा सपना देखने वाले प्रशासन के लिए यह नया अवसर है कि पुराने और अब तक पारंपरिक से हो गए आदेशों की तरह इस बार भी दिए गए इस नए आदेश की क्या पालना हो सकती है? जवाब शायद नहीं में ही होगा!

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
1 year ago

दैनिक जागरण के २७ अगस्त के अंक में पढ़ा कि कोटा के सभी होस्टल में स्प्रिंग रोल वाले पंखे लगा दिए गए हैं इसके अगले दिन ही एक कोचिंग छात्र ने पंखे से लटककर सुसाइड कर लिया. यह है कोचिंग सिटी की हकीकत,पेपर वर्क में कुछ और फील्ड में सब गोल.