
मेरा सपना… 7
-शैलेश पाण्डेय-
पेरिस के वर्सेल्स पैलेस की अद्भुत स्मृतियों को दिलो दिमाग में संजोये हम बाहर आए और परिसर के बाहर दुबारा से फोटो खिंचाने और खेंचने के मोह को नहीं छोड़ सके। इसी दौरान राहुल जाधव ने बताया कि टूर गाइड कैथरीन हमें बस से ही सफर के दौरान शहर की प्रमुख जगहों के बारे में जानकारी देंगी। हम लोग अपनी बस पर पहुंचे जहां कैप्टन रॉबर्ट इंतजार कर रहे थे. लेकिन तभी वहां फिर अफ्रीकी मूल के विक्रेताओं ने घेर लिया और पेरिस की स्मृति के तौर पर चिन्ह लेने का आग्रह करने लगे। हमारे कुछ साथियों ने उनसे काफी खरीद की। इसमें एफिल टॉवर की प्रतिकृति, की चैन, पर्स और बैग शामिल थे। आखिर राहुल के यह कहने पर कि हम शिड्यूल से पीछे हैं इसलिए बोटिंग से वंचित रह जायेंगे तब सभी बस में सवार हुए।

वहां से बस के निकलते ही कैथरीन ने पेरिस की नामचीन जगहों और उनके इतिहास तथा आर्किटेक्चर की खासियत के बारे में बताना शुरू किया। कैथरीन के अनुसार रास्ते में जो भी इमारतें दिख रहीं थीं उनका बाहरी स्वरूप वैसा ही परंपरागत शैली का बनाए रखा गया था। कहा जाता है कि फ्रांस के आर्किटेक्चर पर इटली का बहुत प्रभाव था लेकिन 15वीं शताब्दी के बाद फ्रांस में पुनर्जागरण हुआ और उन्होंने अपनी खुद की आर्किटेक्चर शैली विकसित की। 1500 के बाद की ज्यादातर इमारतें इसी शैली में बनी हैं। इसे French Renaissance architecture भी कहते हैं। रविवार का दिन होने से सड़कों पर भीड़ नहीं थी। पहली बार बड़ी संख्या में लोगों को साइक्लिंग करते देखा। कहीं युवा जोड़े तो कहीं मां-बच्चे या पिता-बच्चे एक साथ साइकिल चला रहे थे। कई लोग रनिंग कर रहे थे। इनमें बच्चे, बूढे जवान महिलाएं यानी सभी वर्ग के लोग दौड लगाते दिखे। यह देखना बहुत सुखद लगा कि उनके लिए रनिंग का कोई समय नहीं था। हमने सुबह जब लोगों को दौड़ लगते देखा तो एक रूटीन समझा लेकिन कुछ लोग दोपहर में और अब शाम होने के समय भी दौड़ रहे थे। पहले तो यह समझा कि शायद पेरिस ओलपिंक की वजह से लोगों में फिटनेस का जुनून चढ़ा है लेकिन फिर पता चला कि यहां दौड़ना और साइक्लिंग आम है। इनके लिए सड़क पर अलग से ट्रेक बनाए गए हैं।

इस बीच हमारा सामना पेरिस के प्रमुख स्मारक ‘आर्क द त्रियॉम्फ’ (द लेत्वाल पैरिस) से भी हुआ। जहां एक सर्कल के बीच में बने इस स्मारक को देखने के लिए हर दिशा से पर्यटक उमड़ रहे थे वहीं वाहनों की भी रेल पेल थी। बताया गया कि इस स्मारक में किसी अज्ञात सैनिक की समाधी है। यह पेरिस के सर्वाधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। इसने हमें दिल्ली के इंडिया गेट और मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया की याद दिला दी। गेटवे ऑफ इंडिया समुद्र किनारे बना हुआ है। आर्क द त्रियॉम्फ संगमरमर से बना स्मारक है। क्योंकि हमारे पास समय कम था इसलिए सर्कल के एक ओर पार्किंग में बस रोकने के बाद हमने दूर से ही उसको निहारा। भारी ट्रेफिक के बीच सड़क पार करना संभव नहीं था और हमारे पास अधिक समय भी नहीं था।
ऐसे ही हमें मार्ग में दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला लुवर संग्रहालय भी मिला था। उसका विशाल आकार देखकर आप केवल उसमें मौजूद संग्रह की कल्पना ही कर सकते हैं। साल में करीब एक करोड पर्यटक यहां आते हैं और पर्सियन इतिहास और संस्कृति से रूबरू होते हैं। क्योंकि इस संग्रहालय को देखने के लिए बहुत ज्यादा समय चाहिए इसलिए यह हमारे कार्यक्रम में शामिल नहीं था। हमने केवल बाहर से ही झलक देख संतोष कर लिया ।

ऐसा ही एक स्थान होटल डेस इनवैलिड्स मिला। जिसे आमतौर पर लेस इनवैलिड्स कहा जाता है। बताया गया कि इसे 1670 में चौदहवें लुई द्वारा घायल सैनिकों के आवास और देखभाल के लिए बनाया गया था। नेपोलियन बोनापार्ट की मौत की सालगिरह पर यहां ‘मोमेंट डे मेमोइरे’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह विशाल इमारतों का एक परिसर है जिसमें संग्रहालय और स्मारक हैं। यह फ्रांस के सैन्य इतिहास से संबंधित हैं। हम यहां कुछ देर के लिए ठहरे और नेपोलियन को भी याद किया। जिसे इतिहास की पुस्तकों में महान योद्धा और चतुर सेना नायक के तौर पर पढ़ा है।
इसी सफर के दौरान हमारी बस असेम्बली नेशनले (पैलैस बॉर्बन) के सामने से निकली जहां सुरक्षा बलों के कई वाहन तैनात थे। कुछ आश्चर्य हुआ क्योंकि अभी तक कहीं पुलिस से हमारा सामना नहीं हुआ था कैथरीन ने बताया कि फ्रांस में नेशनल असेंबली के चुनाव हुए हैं। आज परिणाम आने हैं। किसी भी तरह की अप्रिय घटना का सामना करने के लिए यहां पुलिस मौजूद है। लेकिन मुश्किल से सुरक्षा बलों के वाहनों की संख्या एक दर्जन होगी। इससे ज्यादा पुलिस के वाहन तो हमारे यहां चुनाव रैलियों के दौरान तैनात कर दिए जाते हैं। पहले से ही अनुमान था कि इस बार किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। अगले दिन मालूम पड़ा कि चुनाव लड़ने वाले दलों में सत्ता को लेकर सहमति या गठबंधन हो गया है।

कैथरीन ने बताया कि फ्रांस में नागरिकों के अधिकारों का बहुत ध्यान रखा जाता है। आठ घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं कराई जा सकती और न्यूनतम सेलरी 1040 यूरो है। सप्ताह में पांच दिन काम और साल में एक माह का सवैतनिक अवकाश अनिवार्य है। अधिकांश लोग क्रिसमस पर सवैतनिक अवकाश लेते हैं और छुट्टियों का भरपूर आनंद उठाते हैं। इस बीच कैथरीन के ड्यटी के आठ घंटे पूरे हो चुके थे और वह सभी का अभिवादन कर एक जगह बस से उतर गईं। जहां से वह मेट्रो पकड़ कर अपने घर जाने वाली थीं। हम भी अपने गंतव्य शीन नदी पर बोटिंग करने के करीब पहुंच चुके थे।