क्या झारखंड में होगा कोई खेला !

-चंपई सोरेन की नाराजगी हेमंत सोरेन सरकार पर पड़ सकती है भारी

-द ओपिनियन डेस्क-

विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही झारखंड की आदिवासी राजनीति में भूचाल आ गया है। खतरा राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा व कांग्रेस की गठबंधन सरकार को भी हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने बगावत का सुर बुलंद कर दिया है। पार्टी से नाराज चंपई रविवार शाम दिल्ली पहुंच गए। खबर है उनके साथ पार्टी के कुछ विधायक भी हैं। उनके दिल्ली रवाना होने की खबर के साथ ही यह कयास शुरू हो गए थे कि क्या वे भाजपा में शामिल होंगे। इस बीच, चंपई ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपनी पोस्ट में अपनी मन की बात कही। यूं कहें की अपनी पीड़ा बयां की। हालांकि उनके बयान के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन पर जवाबी हमला बोला और भाजपा पर भी निशाना साधा। लेकिन यह बात तय है कि चंपई की नाराजगी से हेमंत सोरेन सरकार के साथ खेला हो सकता है। क्योंकि चंपई भाजपा में शामिल हुए या अलग से कोई पार्टी बनाई तो भी हेमंत सोरेन सरकार के सामने बहुमत का संकट पैदा हो सकता है। चंपई के साथ झामुमो और कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट विधायक भी जा सकते हैं। हालांकि चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने की कोई दो टूक बात नहीं कही। उन्होंने कहा कि उनके पास तीन विकल्प हैं और वह राजनीति में नया रास्ता तलाश रहे हैं। उन्होंने जो तीन रास्ते बताए उनमें पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। चंपई ने यह बात हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद हुई विधायक दल की बैठक का जिक्र करते हुए कही। चंपई ने कहा कि उन्होंने यह बात तब बैठक में कही थी। वह कहते हैं, उस दिन से लेकर आज तक, तथा आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।

सोशल मीडिया पर छलका चंपई सोरेन का दर्द
चंपई को सबसे बड़ा दर्द अपने अपमान का है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें बहुत अपमानित किया गया। इतने अपमान और तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई के पहले सप्ताह में पार्टी नेतृत्व ने उनके सारे सरकारी कार्यक्रम अचानक रद्द कर दिए। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। चंपई सोरेन ने कहा कि पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है और मुझसे कहा गया कि तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते। उन्होंने सवाल किया कि क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने आगे लिखा, इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया।

बिना नाम लिए हेमंत सोरेन पर हमला
चंपई सोरेन ने दावा किया कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था। चंपई का आरोप है कि उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

हेमंत सोरेन ने भाजपा पर साधा निशाना
चंपई सोरेन के इस कदम पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलटवार किया है। उन्होंने गोड्डा में आयोजित एक कार्यक्रम में बिना किसी का नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा और उनके विधायकों को खरीदने का आरोप लगाते हुए कहा कि झारखंड में चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा गायब हो जाएगी। उन्होंने अपनी सरकारी योजनाओं का जिक्र करते हुए वादा किया कि अगली सरकार बनने पर हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए सहायता दी जाएगी। हेमंत सोरेन ने कहा -विरोधियों (भाजपा) की ओर से लगातार घर फोड़ने और पार्टी तोड़ने की कोशिश की जाती रही है। आए दिन इस विधायक, तो उस विधायक को खरीदने की कोशिश की जाती है। पैसा ऐसी चीज है कि नेता लोग को भी इधर से उधर खिसकने में समय नहीं लगता है।

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