
मेरा सपना। … 14
-शैलेश पाण्डेय-
मेरी नजर में नीदरलैंड मजबूत कदकाठी और हॉकी तथा फ़ुटबाल में अव्वल लोगों का देश था। ओलम्पिक और विश्व कप हॉकी में भारत की कई हार के पीछे नीदरलैंड के Floris Jan Bovlander (241 match 215 Goal) और Paul Litjens (177 Match 267 Goal) जैसे पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञों का हाथ देखा। इसलिए यह धारणा थी कि उनके खिलाड़ी इतनी तेज गति से दौड़ते और पेनल्टी कॉर्नर शॉट लेते हैं कि सामान्य कद काठी के भारतीय खिलाड़ी ऐस्ट्रो टर्फ पर उनका मुकाबला नहीं कर पाते। लेकिन यूरोप दौरे के दौरान एमस्टरडम की खूबसूरती ने मेरी धारणा को ही बदल दिया।

एमस्टल नदी के किनारे करीब 12वीं शताब्दी में बसाया गया यह शहर नीदरलैंड की राजधानी और यूरोप का प्रमुख फाइनेंशियल सेंटर होने के बावजूद हमारे आम शहरों जैसी गहमा-गहमी और शोर-शराबे से दूर मिला। साइक्लिंग और रनिंग यहां के लोगों का जूनून है। यातायात के लिए बस, टाम, बोट, ट्रैन जैसी सभी सुविधाएं है लेकिन ज्यादातर लोग साइकिल पर सवारी करते नजर आएंगे।
साइकिल भी भांति-भांति की और जरूरत के अनुसार। यानी बच्चों को साथ ले जाने वाली मां की साइकिल की बनावट अलग तो सामान की डिलीवरी करने वाले की साइकिल रिक्शानुमा। बताया गया कि यहाँ साइकिल की चोरी भी बहुत होती है. यही कारण था कि लोग अपनी साइकिल को चैन से बांधकर रखते दिखे।

समुद्र तल से नीचे बसा होने के बावजूद केनाल इस शहर की रक्त वाहिनी हैं। केनाल पर हमेशा क्रूज की सवारी चलती है। इसे नाइट सिटी भी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि केनाल पर संचालित क्रूज पर रात को भी मनोरंजन के भरपूर इंतजाम होते हैं। यहां ऐतिहासिक इमारतों और आर्ट को बखूबी संरक्षित किया गया है। जहां इस शहर का इतिहास समृद्ध है वहीं जीवंत विरासत आपको नजरें नहीं हटाने देतीं।

एमस्टरडम हमें ग्लासयुक्त बोट में बैठकर केनाल के सहारे घूमना था। लेकिन जिस बोट में हमारी बुकिंग थी उसके लिए कुछ समय बाकी था इसलिए टूर मैंनेजर राहुल जाधव ने उक्त अवधि में खरीदारी और शहर को देखने की अनुमति इस शर्त पर दी कि तय समय पर बोट की सवारी के लिए उपस्थित हो जाएंगे। सभी ने इस मौके का फायदा उठाया और घूमने निकल पड़े।

सेंट्रल स्टेशन यहां के सबसे आकर्षक स्थलों में है और यह जिस जगह से हमें क्रूज पकड़ना था उसके पास ही था। जब भी कोई ट्रेन आती पर्यटकों का रैला उमड़ता था। अजातशत्रु के साथ स्थानीय खाने पीने की चीजों का लुत्फ उठाते हुए करीब एक किलोमीटर तक सड़क के दोनों ओर की ऐतिहासिक इमारतों को निहारा और तय समय पर बोट की सवारी के लिए पहुंच गए।

इस दौरान बूंदा-बांदी शुरू हो गई लेकिन तब तक हमारा बोट में बैठने का नंबर आ गया। हमारे साथ अन्य देशों के पर्यटक भी थे। सभी को ईयरफोन दिए गए थे जिनसे केनाल के रास्ते में आने वाली ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जानकारी दी जा रही थी। कौन सी इमारत कब बनी और इसके निर्माण के पीछे की क्या कहानी है यह जानकारी एक साथ चार-पांच भाषाओं में दी जा रही थी। आप अपनी मर्जी से भाषा चुन सकते थे। यहां भी उच्चारण की समस्या थी इसलिए कुछ समझ आता और कुछ नहीं। लेकिन दोनों ओर भव्य विरासत को देखकर लग गया कि प्रति वर्ष लाखों पर्यटक इसी वजह से खिंचे चले आते हैं। इस केनाल पर करीब एक हजार ब्रिज हैं। लोग आसानी से एक छोर से दूसरे छोर जा सकते हैं।
बोट राइड का आनंद उठाने के बाद हम दोपहर के भोजन के लिए एक बहुत ही शांत जगह स्थित इंडियन रेस्त्रां में गए। वहां भोजन से ज्यादा उसके बाहर केनाल के दोनों ओर की बसावट ने मन मोह लिया। यहां जितना समय मिला उसमें कुछ जानकारी भी जुटाई तो पता चला कि बहुत से लोग तो बोट में ही घर बनाए हुए हैं। एक समय एमस्टरडम में मकानों की कमी हो गई थी तब लोग बोट में रहने को मजबूर हुए थे लेकिन अब धनी लोग ही बोट में रहने का खर्च उठा पाते हैं।
यहां से हमें जर्मनी के लिए रवाना होना था जहां सबसे बड़ाआकर्षण मर्सिडीज बेंज म्यूजियम था। यहां जाने के लिए हमारा फ्रेंकफर्ट हमारा अगला मुकाम था।