‘झालावाड़ के कोलाना हवाई अड्डे को लेकर कसकता है दिल’

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झालावाड के कोलाना हवाई अड्डे का मुख्य भवन। इसके 1700 मीटर की हवाई पट्टी को तीन किलोमकीटर तक बढा दिया गया है। अब यहां एयर बस भी उतर सकती है।

-धीरेन्द्र राहुल-

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धीरेन्द्र राहुल

पुणे के ‘टाईम्स ऑफ इंडिया’ में छपी खबर पढ़कर एक कसक आज फिर उभर आई।
खबर है कि एयर इंडिया और कर्नाटक सरकार के बीच एमओयू हुआ है जिसके तहत एयर इंडिया बेगलुरू के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 37 एकड़ जमीन पर हवाई जहाजों के मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाॅलिंग (MRO) हब बनाएगी। इस पर करीब 1200 करोड़ रूपए की लागत आएगी और 1400 एविएशन इंजीनियरों को काम मिलेगा। इसके अलावा 200 एसएमईएस को भी सपोर्ट मिलेगा।

बेंगलुरू में बनने वाला यह पहला MRO नहीं है। इसके अलावा नागपुर, मुम्बई और अहमदाबाद में भी MRO हैं लेकिन वे अलग अलग एविएशन कंपनियों के हैं।

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अगर झालावाड में एमआरओ बनेगा तो मेंटेंनस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग के लिए हवाई जहाज यहां आएंगे और दृश्य इस तरह का होगा।

मेरी कसक झालावाड़ के कोलाना हवाई अड्डे को लेकर है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने झालावाड़ की 1700 मीटर लंबी हवाई पट्टी को 3000 मीटर यानी तीन किलोमीटर करने का फैसला किया तो उन्हें अच्छी तरह पता था कि पर्याप्त संख्या में यात्री यहां मिलेंगे नहीं, इसलिए इसे MRO ( मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाॅलिंग सेंटर के रूप ) में विकसित किया जाए। एयर बस उतर सके, इसीलिए तीन किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई गई। इसके लिए विनोद पित्ती ग्रुप के साथ एमओयू होने की भी चर्चा थी। कंफर्म नहीं है कि एमओयू हुआ था या नहीं ? इस बारे में दस दिन पहले झालावाड़ कांग्रेस के नेता रघुराजसिंह हाड़ा ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी है।

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झालावाड़ के कोलाना हवाई अड्डे से इस मेगा हाईवे को बाहर निकाल दिया गया है। इसके अलावा दस किलोमीटर लंबी बाउंड्री वाल का काम भी पूरा कर लिया गया है।

यहां सवाल उठता है कि अगर एमोयू हुआ था तो फिर उसे इम्प्लीमेंट कौन करवाएगा?
राजस्थान सरकार ने कोलाना एयरपोर्ट के प्रथम चरण में 169 करोड़ खर्च किए हैं। एक फोटो में आप देख रहे हैं कि कोलाना हवाई पट्टी से होकर झालावाड़- खानपुर-बारां मेगा हाइवे गुजर रहा है, उसे बाहर निकालने पर साढ़े 17 करोड़ खर्च किए गए। वहीं 5 करोड़ 31 लाख की लागत से दस किलोमीटर लंबी बाऊंड्रीवाल बनाई गई। झालावाड़ का हवाई अड्डा MRO के लिए एकदम तैयार है।

देश में हवाई सेवाओं का विकास हो रहा है। एयर ट्रैवलर्स की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही हैं।एयरलाइन्स कंपनियां बड़ी संख्या में एयरोप्लेन खरीद रही हैं। ऐसे में झालावाड़ का हवाई अड्डा सूना पड़ा रहे? तो इससे बड़ी विफलता तो डबल इंजिन सरकार की हो ही नहीं सकती।

गेंद अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के पाले में है। वे एयरलाइन्स कम्पनियों से बात करें/ नागर विमानन मंत्री से बात करें। उन्हें झालावाड़ एयरपोर्ट देखने के लिए आमंत्रित करें। अगर इसमें सफलता नहीं मिलती हैं तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात करें और यहां ग्वालियर, अम्बाला और जोधपुर की तरह एयरफोर्स स्टेशन बनाने की पेशकश करें। राजस्थान एक गरीब राज्य है, उसके दो- ढाई अरब रूपए व्यर्थ नहीं जाने चाहिए।

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