
-देवेन्द्र यादव-

राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग की बात आती है तब राजनीतिक गलीयारों में एक आवाज तेजी से सुनाई देती है कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखा कर सीट शेयरिंग करनी चाहिए। कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को समझना होगा कि कांग्रेस बड़ा दिल दिखाते दिखाते देश के अनेक राज्यों में लगभग खत्म हो गई है। सबसे पहले उत्तर प्रदेश और बिहार की बात करें तो दोनों ही राज्यों में चार दशक से भी अधिक का समय हो गया है कांग्रेस को सत्ता से बाहर हुए। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की स्थिति आज यह भी नहीं है कि वह विधानसभा के भीतर जोर शोर से अपनी आवाज उठा सके। पश्चिम बंगाल में आज कांग्रेस की स्थिति क्या है, और जम्मू कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 6 सीट जीत सकी। उड़ीसा और असम में कांग्रेस की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस कहां खड़ी हुई है यह सभी को पता है।
मजेदार बात तो यह है कि इन सभी राज्यों में कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी ने खत्म नहीं किया है बल्कि उन क्षेत्रीय दलों ने कमजोर और खत्म किया है जो दल आज कांग्रेस से कह रहे हैं कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। कांग्रेस के बड़े दिल के कारण ही इन क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को परास्त कर अपने-अपने राज्यों में अपनी-अपनी सरकार चलाई हैं और आज जब वह पहले की अपेक्षा अपने आप को कमजोर महसूस करने लगी है तब वह कांग्रेस से कह रही हैं की कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
खास और मजेदार बात तो यह है कि जिन क्षेत्रीय दलों के कारण कांग्रेस उनके राज्यों से सत्ता से बाहर हुई थी अब वही अपने-अपने राज्यों की सत्ता से बाहर होकर, अन्य राज्यों में जाकर चुनाव लड़ने की ताल ठोक रहे हैं और कांग्रेस से कह रहे हैं कि कांग्रेस बड़ा दिल दिखाएं। यह समझ में नहीं आया कि कांग्रेस के सहयोगी दल भाजपा को परास्त करने पर काम कर रहे हैं या फिर कांग्रेस को कमजोर करने पर। क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रीय दल महाराष्ट्र और झारखंड में जाकर चुनाव लड़ना चाहते हैं और कांग्रेस से अपेक्षा कर रहे हैं कि कांग्रेस बड़ा दिल दिखाएं। कांग्रेस इन बाहरी दलों को विधानसभा की सीट देकर उनकी मदद करें।
सबसे बड़ा सवाल क्या इंडिया गठबंधन,हकीकत में भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए बना है या फिर इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस को कमजोर करने के लिए एक बड़ा जाल है जिसमें कांग्रेस उलझी रहे और भाजपा के खिलाफ अपनी तरफ से कोई ठोस चुनावी रणनीति ही नहीं बना पाए। राहुल गांधी और कांग्रेस को महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के बाद इस पर गंभीरता से मंथन करना चाहिए, और यह सोचना चाहिए कि जम्मू और कश्मीर के भीतर कांग्रेस का मजबूत गठबंधन होने के बाद भी जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को मात्र 6 सीट क्यों मिली और नेशनल कांफ्रेंस को 43 सीट कैसे मिली। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस को मात्र एक-एक सीट विधानसभा की क्यों मिली इस पर गंभीरता से कांग्रेस के नेताओं को विचार करना होगा।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।