बृजेश विजयवर्गीय
(राष्ट्रीय जल बिरादरी की चम्बल संसद के समन्वयक)
कोटा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर क्षेत्रीय योजना – 2041 के प्रावधान जहां अरावली पर्वत को बर्बाद कर देंगे वहीं 4 राज्यों के 25 जिलों समेत राजस्थान के दो जिलों अलवर एवं भरतपुर में करोड़ों लोगों के जीवन की गुणवत्ता और साफ हवा और पानी के अधिकार से खिलवाड़ होगा। इस योजना के प्रारूप से ज्ञात है कि 70 प्रतिशत से अधिक अरावली और अन्य महत्वपूर्ण प्राकृतिक संरचनाएं एवं परिस्थितिकी क्षेत्र खतरे में पड़ जाऐंगी। हाल ही में राजस्थान के कनकांचल आदि पर्वत को बचाने के लिए संत विजयादास ने आत्मदाह किया उसके बाद सरकार चेती और क्षेत्र का वन संरक्षित क्षेत्र घोषित किया और खनन कार्यों पर रोक लगी। ये प्राकृतिक संरचनाऐं ही एनसीआर में रह रहे लोगों को साफ हवा और पानी उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजस्थान सरकार को समझना पड़ेगा कि पानी की कमी राजस्थान के कई जिलों में विशेषकर अलवर एवं भरतपुर में भी है। राजस्थान के 243 में से 172 ब्लॉक्स में भू जल का अतिदोहन के कारण गंभीर संकट है। ऐसी परिस्थिति में अंधाधुंध विकास से ज्यादा पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है।
बे रोकटोक निर्माण कार्याे का सिलसिला शुरू हो जाएगा
इस प्रारूप में प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र शब्द को हटा कर प्राकृतिक क्षेत्र से बदल दिया गया है। इससे बे रोकटोक निर्माण कार्याे का सिलसिला शुरू हो जाएगा। एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2021 में प्रयुक्त शब्द प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र को नई क्षेत्रीय योजना में रखा जाए। दूसरा सुझाव है कि योजना के प्रारूप् में उन सभी क्षेत्रों को संरक्षण दिया जाए जो कि प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र की मान्यता रखते थे, वह केंद्रीय या राज्य अधिनियमों के तहत अधिसूचित न हों या राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज न हो।
वन क्षेत्र शब्द को प्रारूप-में वापस शामिल किया जाए
वन क्षेत्र शब्द को न हटा कर प्रारूप-में इसे वापस शामिल किया जाए। इसी प्रकार एनसीआर के वन क्षेत्र को बढाने के लिए कुल वर्ग क्षेत्र का 10 प्रतिशत निर्धारित करना चाहिए। इस प्रारूप् से जल निकायों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। जल निकायों की परिभाषा में प्रकृति द्वारा निर्मित शब्दों को हटा कर मानव निर्मित जल संरचनाओं को भी संरक्षित किया जाए। प्रारूप् में नदियों और उनकी सहायक नदियों और बाढ़ के मैदानों बाढ़ प्रवण क्षेत्रों के संरक्षण को वापस शामिल किया जाना चाहिए।
प्रधान मंत्री को पत्र भेजा
नोटः प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव समेत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व मुख्य मंत्री राजस्थान सरकार को राष्ट्रीय जल बिरादरी की चम्बल संसद के अध्यक्ष केबी नंदवाना,सचिव अमित सिंह राठौड़,सभापति जीडी पटेल,समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय, सह सचिव अनिता चौहान,तरूण भारत संघ के चमन सिंह,बाघ मित्र,कोटा एनवायरमंेटल सेनीटेशन सोसायटी के यज्ञदत्त हाड़ा,एडवोकेट प्रो.अरूण शर्मा,कल्पना शर्मा,सीकेएस परमार ,विनीत महोबिया,आभा श्रीवास्तव,पीपुल्स फॉर एनीमल आदि के पदाधिकारियों ने इस आशय का पत्र भेजा है।