यह दुनिया का ग़म ही तो सरमाया अपना। यही अपनी चाॅंदी यही अपना सोना।।

ग़ज़ल

शकूर अनवर
जहाॅं थक के बैठे वहीं अपना सोना।
ये अंबर की चादर ये धरती बिछौना।।
*
वही अपने जीवन में जीवन का रोना।
वही ग़म की माला में ऑंसू पिरोना।।
*
यह देखो कहीं चोट आये न इस पर।
कि नाज़ुक बहुत है ये दिल का खिलौना।।
*
यह दुनिया का ग़म ही तो सरमाया अपना।
यही अपनी चाॅंदी यही अपना सोना।।
*
चलो चल के लहरों से टकराऍं “अनवर”।
किनारे पे क्या अपनी कश्ती डुबोना।।
*
शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments