बे मौसम की बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी

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झालावाड जिले के एक खेत मे आयी पड़ी गेहुं की फसल।

—दाना गलने और काला पडने की आशंका

-सावन कुमार टांक-

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सावन कुमार टांक

कोटा। पश्चिमी विक्षोभ के कारण हो रही बे मौसम बरसात और ओलावृष्टि ने कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले के किसानों की सांसे अटकाई हुई हैं। किसी की फसल कटकर सूखने के लिए खेत में पडी हुई थी तो कोई काटने की तैयारी में थे लेकिन इस बरसात ने उनके अरमान पर पानी फेर दिया।
सोमवार को भी कोटा शहर व आसपास के कुछ क्षेत्रों में शाम के समय बरसात हुई व चने के आकार के ओले भी गिरे। बरसात इतनी तेज थी कि थोड़ी देर में ही चहूं और पानी ही पानी हो गया। जिन किसानों की फसलें खेतों में खड़ी हैं या कटी हुई पड़ी है उन्हें नुकसान बताया जा रहा है। धनिया में इस बरसात में नुकसान अधिक है। गेहूं की फसल खेतों में ऑडी पड़ गई वहीं सरसों व चना की फसल भी भीगने से उत्पादन प्रभावित होगा।
कोटा संभाग में कुल 14,18,578 हेक्टेयर में गेहूं, चना, सरसों, लहसुन, धनिया, मटर, मसूर, जो, तारामीरा, प्याज तथा सब्जियों की बुवाई की गई थी। इसमें 85,258 हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है।

संभाग के लाडपुरा, सांगोद, रामगंजमंडी, इटावा, दीगोद, कनवास, बारा, अंता, अटरू, मांगरोल, छबड़ा, किशनगंज, छिपाबड़ोद, बूंदी, तालेड़ा, केशोरायपाटन, नैनवा, इंदरगढ़, हिंडोली, मनोहरथाना, रायपुर, कानपुर, पिडावा, अकलेरा, बकानी, सुनील, पचपहाड़, गंगधार, झालरापाटन, असनावर क्षेत्रों में पिछले 4 – 5 दिनों से कहीं बारिश, कहीं तेज हवा के साथ बरसात तथा कहीं-कहीं ओले गिरने से फसलों को नुकसान बताया जा रहा है। वहीं कृषि विभाग की माने तो पहले 20 मार्च तक मौसम खराब रहने की चेतावनी थी। मौसम विभाग के अनुसार अब 24 मार्च तक हवा के साथ बरसात की बात कहीं जा रही है।
अतिरिक्त निदेशक कृषि विस्तार कोटा खंड पीके गुप्ता ने बताया कि बरसात, ओलावृष्टि व तेज हवा के कारण बूंदी जिले में फसल अधिक प्रभावित है। बारां तथा कोटा में भी फसलें प्रभावित हुई हैं। झालावाड़ जिले में गेहूं और चने की फसल आंशिक प्रभावित हुई है। यहां सरसों में किसी प्रकार का खराबा नहीं है।
उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पीके सिंह ने बताया कि संभाग में 1.49 लाख हेक्टेयर में लहसुन, प्याज तथा सब्जियां थी जिसमें 9070 हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है। 49, 437 हेक्टेयर मैं धनिया की फसल थी जिसमें 8850 हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है।

मौसम में नहीं हुआ सुधार तो नुकसान होगा ज्यादा
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कृषि जानकारों व किसानों के अनुसार खेत में कटकर पड़ी धनिया और सरसों में नुकसान अधिक है। धनिया का रंग काला पड़ने से भाव काफी कम रहेंगे। सरसों की फलियां भी गलने से उपज प्रभावित होगी। लहसुन में छिलका गलने कि समस्या रहेगी। गेहूं को चना की कटाई कम होने से इनमें नुकसान कम होने की बात कही जा रही है।

जिलावार आंका गया नुकसान
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कोटा में 107839 हेक्टेयर मैं गेहूं की बुवाई की गई थी जहां 10650 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है तथा 5 से 30% अनुमानित क्षति बताई गई है। 50615 हेक्टेयर भूमि में चना बोया गया था जिसमें 955 हेक्टेयर में फसल प्रभावित हुई है 5 से 35% अनुमानित क्षति हे। 76,175 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की बुवाई की गई थी जिसमें 740 हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है सरसों में 10 से 35% की अनुमानित क्षति बताई जा रही हैं।

–बारां जिला मैं 122336 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बुवाई की गई थी यहां 1750 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है अनुमानित क्षति 10 से 25% की गई है। 33347 हेक्टेयर भूमि में चना बोया गया था जिसमें 1060 हेक्टेयर की फसल प्रभावित तथा 5 से 12% अनुमानित क्षति बताई जा रही है। 149105 हेक्टेयर भूमि में सरसों की बुवाई की गई थी यहां 1890 हेक्टेयर की फसल प्रभावित तथा 8 से 25% अनुमानित क्षति सरसों में बताई जा रही है।

–बूंदी जिले में 134880 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की गई थी यहां 33060 हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है 15 से 30% अनुमानित क्षति गेहूं में बताई गई है। 30314 हेक्टेयर भूमि पर चना बोया गया था जिसमें 5400 हेक्टेयर भूमि की फसल प्रभावित तथा 10 से 20% अनुमानित क्षति बताई जा रही है। 67532 हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई थी जिसमें 5000 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है यहां 10 से 15% अनुमानित क्षति बताई जा रही है।

— झालावाड़ जिले में 148560 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई थी 174 हेक्टेयर फसल प्रभावित तथा 10 से 20% अनुमानित क्षति बताई गई है। 4916 हेक्टेयर में चना बोया गया था जिसमें 33 हेक्टेयर की फसल प्रभावित तथा 5 से 15% अनुमानित क्षति बताई गई है। 58886 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की बुवाई की गई थी यहां सरसों में किसी प्रकार का नुकसान नहीं बताया गया है।
साथ ही जो, मसूर, मटर तथा सब्जियों में भी 5 से 35% फसल प्रभावित बताई गई है।

अब तक हुआ कुल नुकसान
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कोटा संभाग में कुल 67338 हेक्टर की फसल नुकसान होना कृषि विभाग ने बताया है गेहूं में 8. 88, जौ में 27.6, चना में 4. 5, सरसों में 2.16, मसूर में 6.58 कुल 5.52% क्षेत्र में फसल प्रभावित होना अब तक बताया गया है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार बारिश के साथ हल्की ओलावृष्टि तथावर्षा के साथ हवा चलने से कुछ क्षेत्रों में फसल ऑडी पढ़ने से लॉजिंग के कारण कुछ क्षेत्रों में फसल खराबा हुआ है सरसों, चना तथा धनिया की कटी फसल में खराबा अधिक है।

इनका यह है कहना:–
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” अलग-अलग क्षेत्रों में नुकसान की स्थिति भी अलग है। जिन खेतों में फसल कट कर सूखने के लिए रखी थी बरसात वह कहीं कहीं हुई ओलावृष्टि से वह अधिक प्रभावित हुई है। जिन फसलों का बीमा नहीं है उनका सर्वे पटवारी द्वारा कर रिपोर्ट पेश की जाएगी।”
—- पीके गुप्ता, अतिरिक्त निदेशक कृषि विस्तार कोटा खंड

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” जिन खेतों में धनिया की फसल कटी पड़ी थी उसमें नुकसान रहेगा। पानी में भीगने के कारण धनिया का रंग काला पड़ने से पैसा कम मिलेगा। 5 से 15 प्रतिशत तक फसल प्रभावित हुई है। बरसात रही तो लहसुन मे नुकसान होगा। अब तक ज्यादा नुकसान नही है।”
— पीके सिंह संयुक्त निदेशक उद्यानिकी

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