मौसम में बदलाव ने दिया किसानों को झटका,सरसों दो सौ रुपए तक कम कीमत पर बेचने को विवश

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भामाशाह मंडी में सरसों की उपज को बारिश के पानी से बचाने की जुगत करते किसान। फोटो सावन कुमार टॉक

-सावन कुमार टॉक-

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सावन कुमार टॉक

कोटा। भामाशाह मंडी में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों पर मौसम का बदलाव एक बार फिर कहर बरपाता नजर आ रहा है। मौसम में बदलाव के साथ ही किसानों की उपज का दाम भी व्यापारी मनमानी से लगाते हैं। मंडी में उपज लाने के बाद किसानों की भी औने पौने दामों में उपज बेचना मजबूरी बन जाता है। इस बार मौसम में बदलाव से प्रति क्विंटल पर किसानों को डेढ़ सौ से 200 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

भामाशाह मंडी में सरसों लेकर पहुंचे किसान ने बताया कि मौसम की मार को देखते हुए उनकी उपज का जो दाम व्यापारियों ने लगाया है वह डेढ से 200 रुपए क्विंटल कम है। अच्छी गुणवत्ता की सरसों का मूल्य 5000 लगाया गया है। कारण यह कि दोपहर के समय मौसम पलटी खा गया और हल्की बूंदाबांदी शुरू हुई जिससे मंडी परिसर में पड़ी हजारों क्विंटल सरसों के भीगने से किसानों को नुकसान होना स्वाभाविक था। ऐसे में व्यापारियों ने फायदा उठा कीमत कम कर दी जबकि पहले यही सरसों 5300 से 5400 रुपए क्विंटल में बिक रही थी। लेकिन अंधड और हल्की बारिश के बाद 5071 रुपए में खरीदा गया।

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किसान सुरेन्द्र मीना

किसान सुरेंद्र मीणा ने बताया कि यहां उपज को भीगने से बचाने के लिए किसी प्रकार की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। कोई किसान मंडी कार्यालय से त्रिपाल लेने जाता भी है तो उससे 3000 रुपए रखवाए जाते हैं।

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किसान हरि शंकर नायक

किसान हरिशंकर नायक ने बताया कि किसानों की उपज मंडी में पहुंच भी जाए तो भी उन्हें ठीक कीमत नहीं मिल पाती। अधिकारी किसानों की सुनने तक तैयार नहीं होते और उन्हें मन मार कर व्यापारी के आगे घुटने टेकना पड़ता है जिससे उन्हें 200 रुपए क्विटंल तक का नुकसान हो रहा है। कोई किसान अपनी उपज को रोक भी ले तो बरसात के पानी के साथ उनकी उपज के भीगने का खतरा होता है। यदि भीग जाए तो उनका दाम और भी कम लगाया जाता है| इन दिनों भामाशाह मंडी में नई सरसों की बंपर आवक होने लगी है। रोजाना 28 से 30 हजार क्विंटल सरसों आ रही है| हाल यह होता है कि पूरा मंडी परिसर सरसों और किसानों से भरा नजर आने लगा है।

किसानों को मंडी में आने के बाद अपनी उपज बेचना जरुरी हो जाता है क्योंकि वह पहले ही भाडा देकर उपज मंडी में लाता है। यदि कीमत को लेकर उपज वापस ले जाना चाहे तो उसे फिर भाडा चुकाना होगा। यह उसके लिए घाटे का सौदा होता है। इसलिए उसकी मजबूरी का व्यापारी फायदा उठाते हैं। जब ज्यादा उपज आती है तो किसान के सामने कोई विकल्प भी नहीं होता जबकि व्यापारी को उपज बेचने वाले कई किसान तैयार रहते हैं।

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