
ए एच ज़ैदी
कोटा। कोचिंग सिटी को स्मार्ट सिटी के तौर पर जिस तरह स्मार्ट बनाया जा रहा है उससे शहर की पहचान रहे दरवाजों के दिन भी फिर गए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत जिस प्रकार राजकीय महाविद्यालय की हेरीटेज इमारत का वैज्ञानिक तौर तरीकों से जिस तरह का सौंदर्य करण हुआ है उसी तरह कोटा की पहचान इन दरवाजों को भी सजाया संवारा गया है। इन दरवाजों पर आकर्षक लाल पत्थर की जालियां लगाई गई हैं। दरवाज़ों की छत पर फूल पत्तियों को चित्रित किया है। ऊपर दोनों ओर कृष्ण लीला के चित्र है। पीले रंग पर गेरू रंग से दरवाज़ों पर की गई कलाकारी से उभार आ गया है।

एक समय रियासतकाल में कोटा की सुरक्षा में इन दरवाजों का बहुत योगदान था। इन दरवाजों से ही शहर में आवाजाही थी। इन्हें नाम दिए गए थे। लेकिन वक्त के थपेडों और देखरेख के अभाव तथा अतिक्रमण की वजह से यह दरवाजे अपनी आभा खोते जा रहे थे। लेकिन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से इन दरवाजों को नया जीवन मिला है। कोटा के रियासत कालीन दरवाज़ों को नए सिरे से बहुत सुंदर और आकर्षित बनाया जा रहा है।
इतिहासकार फ़िरोज़ भाई के अनुसार गुमानपुरा की ओर का दरवाजा महाराव उम्मेद सिंह जी प्रथम के समय का है। छतरी वाला दरवाज़ा राव राम सिंह जी के समय का है। दरवाजे पर काष्ट के कार्य में एक ओर सरस्वती व एक ओर गणेश बने हुए है। यहां मील का पत्यर आज भी देखा जा सकता है। घोड़े पर सवार दो सैनिक आमने सामने तलवारे हाथ लिये मूर्ति शिल्प पर्यटकों को सेल्फी के लिये आकर्षित कर रहे है। ऊपर एक ओर अलग अलग दो सैनिक यानी द्वारपाल एक ओर एक सैनिक पहरा देते हुए दिखाई दे रहा है।
ज़ैदी बताते है कि जहां एक चबूतरा था वहां खूबसूरत लाल पत्यर का मंदिर बना दिया है। बाहर भी एक मज़ार थी उस का भी जीर्णोदृधार किया गया है। लकड़ी के दरवाज़ों को मजबूती प्रदान की है। अब ये वर्षाे तक खराब नही होंगे। अभी अंदर वाले दरवाजे का कार्य जारी है। डिजिटल लाइटिंग के बाद ये दरवाज़े रात को भी ख़ूबसूरत लगेंगे। सरकार तो विकास करा रही है इनकी खूबसूरती को बनाये रखना हमारी जम्मेदारी भी बनती है।
(लेखक हेरीटेज प्रमोटर और ख्यातनाम फोटोग्राफर हैं)