
-अखिलेश कुमार-

(फोटोग्राफर और पत्रकार)
कोटा समेत पूरा हाडोती पुरा संपदा, संस्कति और अपनी नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर है। यहां जगह-जगह पुरा संपदा का भंडार है। जो प्रमुख स्थल हैं उनसे तो अधिकांश लोग वाकिफ हैं लेकिन कई स्थान ऐसे हैं जहां लोगों की नजर कम जाती है। ऐसा ही एक स्थान कोटा के नांता क्षेत्र में है।

कोटा शहर के निकट रियासतकालीन गांव नांता के उत्तर की ओर खजूर के पेड़ों के बीच एक भव्य इमारत बरबस ही ध्यान आकर्षित करती है। इसके चारों और हरे-भरे खेत मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं।

जानकारी करने पर पता चला कि करीब 160 बीघा क्षेत्र का यह परिसर किसी ट्रस्ट के अंतर्गत आता है। जिसके बीचो-बीच स्थित यह इमारत एक शिव मंदिर है।

इतिहासविदों के अनुसार यह मंदिर 18वीं शताब्दी का है। उस समय नांता झाला जालिम सिंह की जागीर हुआ करती थी। झाला जालिम सिंह की उप-पत्नी घीसा बाई ने इस मनोरम स्थल पर एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। इसका वास्तुशिल्प अत्यंत सुंदर है। विशेषकर यहां स्थापित शिवलिंग का रूप अनूठा है। मन्दिर के बाहर दाईं और बाईं ओर हनुमान जी और गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

यदि इस परिसर को पर्यटन की दृष्टी से विकसित करवाया जाए तो यह इस क्षेत्र में आध्यत्म एवम इतिहास प्रेमी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

कोटा नगर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने में चम्बल रिवर फ्रंट का निर्माण,शहर के प्राचीन दरवाजो का नवीनीकरण, चौराहों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। पर्यटकों को प्राचीन धरोहरों को दीदार कराने के लिए नांता स्थित शिव मंदिर का भी विकास किया जाना चाहिए, मंदिर तक जाने वाले मार्ग का विकास होना चाहिए।शिव मंदिर में स्थापित नंदी का कलात्मक विग्रह दर्शनीय है।