
-डाँ आदित्य कुमार गुप्ता-

किताबों में बसता जीवन
किताबों में हँसता बचपन
किताबों में खिलता अल्हड़
किताबों में महकता यौवन
किताबों में सुलगता यौवन
किताबों में सिसकता बचपन
किताबों मचलता अंतर्मन
किताबों में मिलता अपनापन ।
किताबें मिलाती जीवन
किताबें हँसाती जीवन
किताबों में चमकता सूरज
किताबों में बरसता आँगन
किताबों में बसता उपवन
किताबों में सरसता पवन
किताबों में खनकती पायल
किताबों में कराहते घायल
किताबों में सुरसरि पावन
किताबों में सरसता सावन
किताबों में महकता कानन
किताबों में मुसकराता आनन
किताबों में चमकती बिजली
किताबों में खिलती कली
किताबों में खनकते दाम
किताबों में बसते राम ।
किताबें उन्मुक्त गगन हैं
किताबें जीवन हैं ।
डाँ आदित्य कुमार गुप्ता
बी-38 मोतीनगर विस्तार थेकड़ा रोड़
कोटा ।
किताबें ज्ञानदायिनी गंगा हैं।मनुष्य को अच्छा इंसान बनाती हैं।????????????????