आतुर है मेरे कान तुम्हें सुनने को

-डॉ अनिता वर्मा-

डॉ अनिता वर्मा

आओ ना
आओ ना पास बैठो कुछ क्षण
अपने मन की कहो
मैं सुनना चाहती हूँ
वह सब कुछ जो तुम कहना चाहो
बिना रोके टोके व्यवधान डाले
अपनी सलाह मशविरे
तुम कहो बेधड़क वह सब
जो तकलीफ़ देह है तुम्हारे लिए
बींध देता है भीतर तक तुम्हें सदैव
शायद बहुत कुछ गहरे जम गया है
वह सब कुछ जो तुम कहना चाहते थे
कह नहीं पाये किसी से
सब शिकवे शिकायतें खोल डालो आज
मत डरो पास बैठो
बहुत कुछ एकत्र है
निकाल दो मन से
हल्के हो जाओ आज
उड़ेल दो मन की व्यथा, चिंता, द्वंद्व
आतुर है मेरे कान तुम्हें सुनने को
घर परिवार सम्बन्धों की व्याख्या अपनी दृष्टि से
करना चाहते हो तुम जो कर ना पाये
अब तक रोके रखा
बहुत कुछ सहेज रखा है तुमने
मन के कोने में सहेज कर
कह डालो
मुक्त हो जाओ सब चिंताओं से
अनुभवों की गहरी लकीरों युक्त चेहरा
बहुत कुछ छिपाये है भीतर
कह डालो
सब कुछ आओ पास बैठो
निशंक…….!!!

-डॉ अनिता वर्मा-
– सह आचार्य (हिन्दी विभाग), राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा (राज.)

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Neelam
Neelam
2 years ago

????????

Neelam
Neelam
2 years ago

यही भरोसा और अपनत्व ही तो सबको चाहिए।????????