
– विवेक कुमार मिश्र-

चाय मानवीय संबंधों को जीने की गाथा है
यहां ऊष्मा , उर्जा , तरंग और उल्लास का
ऐसा जादू समाया होता है कि
चाय के साथ दुनिया भर के राग को
उसके जीवित रंग के साथ जी लेते हैं
चाय पर संसार
एक अनुभव कथा की तरह
अपना बयान दर्ज कराती है
जब चाय पर होते हैं तो कोई भी चुप नहीं रहता
सब अपनी जगह से उठकर
अपनी – अपनी सुनाने लगते हैं
चाय पर अपनी ही कथाओं को ऐसे सुनाते हैं कि
जैसे दुनिया की कथा सुना रहे हों
इस समय कोई चुप नहीं रहता
सब अपने – अपने ढ़ंग से संसार को बांचते हुए
एक – एक अनुभव कथा लेकर आ जाते हैं
बराबर ऐसा देखने में आता है कि
चाय की थड़ी पर दुनियादार किस्म के आदमी
अपना राग अलापना शुरू करते हैं
वहीं चुप्पा किस्म के लोग सुनने की साधना करने लग जाते हैं
चाय की थड़ी पर
आपको सुनाने की कला आनी चाहिए
वही धैर्य से सबको सुनने का हुनर भी रखना पड़ता है
चाय पर , चाय कथा चलते – चलते जीवन राग की कहानी हो जाती है।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)