
-चांद शेरी-

हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, कश्मीरी बोलते हैं ।
हर भाषा को दिल की गहराई से तोलते हैं ॥
जहर कितना भी दिलों में घोल दे सियासत यहाँ ।
हम वो हैं जो गंगा के पानी से रोज़ा खोलते हैं ।
मुहब्बत से लबरेज़ हर सामान कर लिया ।
इस दिल को सूर तुलसी रसखान कर लिया ॥
बिस्मिल की शहनाई, सुनी कृष्ण की बांसुरी।
उसने तो पल भर में गंगा स्नान कर लिया ॥
गोर, खुसरो, ग़ालिब, निराला, मेरे अन्दर बोलते हैं।
मेरा भारत मेरी पहचान हम, घर-घर बोलते हैं ॥
हमारा क्या बिगाड़ेगी ये, सरफ़िरी हवायें दोस्तों ।
हम तो हर-हर महादेव, अल्लाहू अकबर बोलते हैं ॥
-चांद शेरी
हिन्दू मुस्लिम एकता पर चांद शेरी की नज़्म,समक्ष की जरूरत है.आज देश में बेरोज़गारी, मंहगाई,अशिक्षा,तथा स्वास्थ्य सेवाएं के विस्तार से निपटने के प्रयासों के साथ अनेक विकास परियोजनाओं पर काम चलरहा है दूसरी ओर हम हिन्दू मुस्लिम के विवादों से देश को पीछे ढकेल रहे हैं