-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
वैशाख के महीने में गर्मी ने जितनी राहत दी थी ज्येष्ठ के महीने में उतनी ही कसर निकाल ली। रविवार को गर्मी के तेवरों के कारण गली और सडकें सूनी पडी रहीं।

हालांकि इसमें रविवार के अवकाश का भी योगदान रहा। जो किसी मजबूरी वश निकले भी तो तीखी सूर्य की किरणों और बदन झुलसाने वाली लू के थपेडों का सामना करना पडा।

हालांकि पर्यावरण के लिहाज से मौसम के अनुसार सर्दी, गर्मी और बारिश का पर्याप्त होना जरुरी है लेकिन लगातार दिन प्रतिदिन पारा जिस तेजी से बढता जा रहा है उससे जन जीवन हलकान है।
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