मवेशी छुट्टा छोड़ने वाले पशुपालकों को खैर नहीं, अब गौशाला में करनी पड़ेगी सेवा

पशुपालकों को सबक सिखाने के लिए ही अब गोशाला समिति यह तय करने जा रही है कि ऐसे लापरवाह पशुपालक अब अपने दुधारू मवेशी पकड़े जाने के बाद जब उसे छुड़ाने के लिए आएंगे तो उन्हें पहले की तरह शपथ पत्र देना होगा,जुर्माना भी भरना होगा लेकिन साथ ही अपना एक दिन का समय निकालकर गौशाला में मवेशियों की सेवा करनी पड़ेगी। इसके बाद ही उनके मवेशी को छोड़ा जाएगा, अन्यथा नहीं छोड़ा जाएगा

-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान के कोटा में सड़कों पर विचरण कर रहे मवेशियों की रोकथाम के लिए कई उपाय करने के बावजूद अब अभी जब कई शहरी इलाकों में मवेशियों को छुट्टा छोड़ने की समस्या बनी हुई है तो इससे निपटने के लिए अब कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति ने इसकी रोकथाम के लिए एक अभिनव प्रयोग करना तय किया गया।
अब होगा यह कि जिन पशुपालकों के मवेशी कोटा शहर की सड़कों पर लापरवाही से छोड़ने के बाद घूमते हुए पाए जाएंगे और उन्हें पकड़कर कायन हाऊस लाया जाएगा तो उन्हें छुड़वाने के लिए वहां पहुंचने वाले पशुपालकों को कोटा नगर निगम की ओर से निर्धारित जुर्माना देने के अलावा एक दिन तक गौशाला के मवेशियों की सेवा करनी पड़ेगी। उसके बाद ही वे अपना मवेशी छुड़वा कर ले जा पाएंगे।

गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने बताया कि कोटा शहर को आवारा मवेशियों से मुक्त करवाने की दृष्टि से प्रदेश के नगरीय एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने एक बड़ी पहल करते हुए राजस्थान में पहली बार कोटा के बाहरी इलाके में देवनारायण आवासीय-पशुपालन योजना की नींव रखी जिसमें पशुपालकों को अपने मवेशी पालने के लिए सुनियोजित तरीके से बनाए गए बाड़े उपलब्ध करवाने के अलावा उनके अपने रहने के लिए भी आवास की सुविधा देने का प्रावधान किया था और इस योजना का पहला चरण पूरा होने के बाद अनेक पशुपालकों को इस योजना में आवंटन भी कर दिया गया है जिसके बाद कोटा शहर के बड़ी संख्या में पशुपालक अब पशुपालन के लिए अपने मवेशी यहां बनाए गए बाड़ों में ले आए हैं और कई परिवारों ने यहां आकर रहना भी शुरू कर दिया।

मवेशियों का नियम विरुद्ध पालन

इसके बावजूद भी अभी भी ऐसे कई पशुपालक हैं जिन्होंने अभी भी शहरी आबादी क्षेत्र में अपने घरों में 2-4 मवेशियों का नियम विरुद्ध पालन कर रखा है जिनका वे सुबह-शाम दूध निकालते हैं और उसके बाद उन्हें अपने घरों के बाहर खदेड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में यह मवेशी पूर्ववत शहर की गलियों में ही नहीं बल्कि मुख्य सड़कों तक पहुंच जाते हैं और कई बार अभी भी सड़क दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं यानी सरकार की करोड़ों रुपए खर्च कर देवनारायण आवासीय-पशुपालन योजना बनाए जाने के बावजूद कोटा शहर को अभी तक पूरी तरह से आवारा मवेशियों की समस्या से छुटकारा नहीं मिला है। इस स्थिति से निपटने के लिए अब कोटा नगर निगम (दक्षिण) की गौशाला समिति ने यह तय किया है कि अब जो भी मवेशी सड़कों पर घूमता हुआ पकड़े जाने के बाद जब कायन हाऊस में लाया जाएगा तो उसे छुड़वाने आने वाले पशुपालकों पहले की तरह न केवल जुर्माना देना पड़ेगा बल्कि अब एक दिन तक निगम की गौशाला में गौ-सेवा भी करनी पड़ेगी, उसके बाद ही नियमानुसार जुर्माना लेकर उसका मवेशी छोड़ा जाएगा अन्यथा नहीं छोड़ा जाएगा।

सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह बनते है मवेशी

श्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि अभी हो यह रहा है कि पशुपालक अपने दुधारू मवेशी पकड़े जाने के बाद जुर्माना भी देते हैं और निगम की ओर से तय किए गए नियम के तहत एक शपथ पत्र भी हस्ताक्षरित करके देते हैं कि इस मवेशी या मवेशियों को कायन हाउस से छुड़ाकर ले जाने के बाद वे उसे कोटा शहर के बाहरी इलाके में ही रखेंगे। घर में नहीं लाएंगे लेकिन यह शपथ पत्र देकर भी फुटकर में अपने घरों में पशुपालन करने वाले लोग अपने दुधारू मवेशियों को अपनी या कुछ व्यावसायिक उपयोग की दृष्टि से अपने घरों में ही रखते हैं लेकिन सुबह और शाम दूध निकालने के बाद उन्हें घर के बाद छुट्टा छोड़ देते हैं जो बाद में गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक पहुंच जाते है और यहां दिन भर बैठे-बैठे जुगाली करते हैं और कई बार सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह बनते है। ऎसे पशुपालकों को सबक सिखाने के लिए ही अब गोशाला समिति यह तय करने जा रही है कि ऐसे लापरवाह पशुपालक अब अपने दुधारू मवेशी पकड़े जाने के बाद जब उसे छुड़ाने के लिए आएंगे तो उन्हें पहले की तरह शपथ पत्र देना होगा,जुर्माना भी भरना होगा लेकिन साथ ही अपना एक दिन का समय निकालकर गौशाला में मवेशियों की सेवा करनी पड़ेगी। इसके बाद ही उनके मवेशी को छोड़ा जाएगा, अन्यथा नहीं छोड़ा जाएगा।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

पिछले 2 दशकों से अधिक हो गया सुनते सुनते कि कोटा शहर की सड़कों में विचरण करने वाले आवारा पशुओं को पकड़कर गौशाला में रखा जायेगा लेकिन समस्या आजतक जब की तस बनी हुई है.देवनारायण योजना बनने से नगर को पशुओं से मुक्त करने के वायदे दिन प्रतिदिन मीडिया में आ रहे हैं लेकिन आज भी दादाबाड़ी को मुख्य सड़क तथा गलियों में गोवंश के झुंड विचरण करते सहज देखें जा सकते है, ंंकोटा की नव विकसित विवेकानंद,आर के पुरम् आदि में पशुओं के झुंड सहज दिख जाते हैं