कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड करने से पिता का रो रोकर बुरा हाल

पिता मदन सिंह ने बताया कि सिद्धार्थ पढ़ाई में काफी अच्छा था। वह खुद ही पढ़ने के लिए कोटा आया था। 23 नवंबर को उससे बात हुई थी। उसने ना तो किसी परेशानी के बारे में बताया ना ही उसकी बातों से लगा। बातचीत में उसने कहा था कि आई एम ओके मैं कंफर्ट हूं।

-दुष्यन्त सिंह गहलोत-

कोटा। शहर के जवाहर नगर थाना क्षेत्र के इंद्र विहार इलाके में सुसाइड करने वाले कोचिंग स्टूडेंट सिद्धार्थ रावत के पिता की रो रोकर बुरी हालत हो रही है। सिद्धार्थ की अपने घर पर 23 नवंबर को बात हुई थी। तब उसने कहा था कि वह कोटा में बिल्कुल ठीक है। उधर जवाहर नगर थाना पुलिस छात्र की सुसाइड मामले की जांच कर रही है कि आत्महत्या के पीछे आखिर क्या कारण रहा होगा। उधर, पिता ने कहा कि पढ़ाई में भी सिद्धार्थ काफी अच्छा था। रविवार को पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया। सिद्धार्थ के पिता मदन और रिश्तेदार कोटा पहुंचे जिनकी मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम करवाया गया। पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर उसके पिता रोते बिलखते रहे। जिन्हें जवाहर नगर थाने के सीआई वसुदेव सिंह सांत्वना देकर शांत कराने की कोशिश करते रहे। गौरतलब है कि उत्तराखंड का रहने वाला स्टूडेंट सिद्धार्थ (16) कोटा में कोचिंग कर रहा था। शनिवार को सुबह से उसके पिता उसे फोन लगा रहे थे लेकिन कोई जवाब नहीं दिया तो मकान मालिक ने जब उसके कमरे पर रोशनदान से देखा तो वह पंखे पर लटका मिला। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम रूम में शिफ्ट करवा दिया और परिजनों को सूचना देकर कोटा बुलवाया। वही पिता मदन सिंह ने बताया कि सिद्धार्थ पढ़ाई में काफी अच्छा था। वह खुद ही पढ़ने के लिए कोटा आया था। 23 नवंबर को उससे बात हुई थी। उसने ना तो किसी परेशानी के बारे में बताया ना ही उसकी बातों से लगा। बातचीत में उसने कहा था कि आई एम ओके मैं कंफर्ट हूं। फिर पढ़ाई को लेकर भी चर्चा हुई थी। इसके बाद शनिवार को फोन किया तो शनिवार को उसने फोन ही नहीं उठाया। सिद्धार्थ इकलौता लड़का था। उसकी एक छोटी बहन भी है जो अभी दसवीं में पढ़ रही है। इधर पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम करवा कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

अमृत महोत्सव वर्ष में भारत अंतरिक्ष को नापने में छलांग लगा रहा है,देश विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है, सरकार आत्म निर्भर भारत की दिशा में काम कर रही है लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी हैं .देश में एक भी विश्वविद्यालय विश्वस्तरीय नहीं है,देश हजारों नवयुवक उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रुख कर रहे हैं.प्राथमिक से कालेज शिक्षा तक छात्रों का की पढ़ाई का स्तर बहुत घटिया है इसलिए अनेक नगरों में कोचिंग संस्थान खुल गए हैं.देश में 1960 के दशक से पहले कोचिंग जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, तक क्या शिक्षा का स्तर आज से खराब था.कोचिग संस्थान छात्रों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहे हैं, नवयुवक तनाव की जिंदगी से, इन कोचिंग संस्थानों में, जी रहे हैं इसलिए आज दिन छात्र/छात्राएं आत्म हत्या करने को विवश हो रहे हैं.,राज्य सरकारों तथा केन्द्र सरकार को कोचिंग से निजात पाने के लिए शिक्षा नीति में अमूल चूक परिवर्तन करना चाहिए अन्यथा किसी मां बाप का लाडला,फांसी के फंदे पर झूलता रहेगा और और यह क्रूर व्यवस्था अपनी पटरी पर‌ चलती रहेगी