
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। पश्चिमी-मध्य रेलवे के कोटा मंडल में कोटा से सोगरिया तक के नॉन-इंटरलॉकिंग का कार्य पूर्ण होने के बाद अब आज से फिर रेल यातायात सामान्य किया जा रहा है। इस नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के कारण पिछले तीन दिनों से
पश्चिमी-मध्य रेलवे के कोटा मंड़ल में सामान्य रेल यातायात पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था और लम्बी दूरी की कई महत्वपूर्ण यात्री गाड़ियों सहित लोकल यात्री गाड़ियों का या तो परिचालन पूर्ण रूप से स्थगित कर दिया गया था या उसे आंशिक रूप से स्थगित कर दिया गया था जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
खासतौर से कोटा संभाग के यात्रियों की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण माने जाने वाले कोटा-बीना रेल लाइन पर इन बीते तीन दिनों में नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के कारण यात्री गाड़ियों का परिचालन रोके जाने की वजह से हजारों यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा था। इन यात्रियों को यात्रा के लिए वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल करना पड़ा जो रेलवे के सफर की तुलना में ज्यादा महंगे और कम सुविधाजनक थे।
आज से कोटा मंडल में रेल यातायात के सामान्य हो जाने की उम्मीद है। लोगों की परेशानियों की सबसे बड़ी वजह यह रही कि इन दिनों पूरे राजस्थान में शादी-ब्याह के आयोजन हो रहे है जिसमें सम्मिलित होने के लिए लोगों को इधर-उधर आना-जाना पड़ रहा था जिसमें आसपास के क्षेत्रों सहित लंबी दूरी पर स्थित गंतव्य भी शामिल होते हैं लेकिन कोटा-सोगरिया रेल मार्ग पर पिछले तीन दिनों के नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के कारण कोटा मंडल के 27 यात्री रेलगाड़ियों को निरस्त कर दिया गया था जो बहुत बड़ी परेशानियों का सबब बनी क्योंकि इनमें ऐसी कई महत्वपूर्ण यात्री गाड़ियां थी जो आम आदमी के आवागमन की दृष्टि से काफी उपयोगी है।
यही नहीं, इस नॉन इंटरलॉकिंग कार्य के कारण तीन दिन तक रेल मार्ग की बुरी तरह से अवरुद्ध रहने के कारण हजारों की तादाद में उन रेल यात्रियों को सबसे अधिक असुविधा का सामना करना पड़ा जो कोटा से विभिन्न मार्गों पर डेली-अप डाउन करते हैं। इनमें राज्य कर्मचारियों की संख्या सबसे अधिक थी। इनमें भी बड़ी तादाद में अध्यापक-अध्यापिका शामिल रहे क्योंकि कोटा संभाग के चारों जिलों में रेल मार्ग से जुड़े हुए छोटे शहरों या उन छोटे शहरों के आसपास के ग्रामीण-कस्बाई इलाकों में सरकारी कार्यालयों-विद्यालयों में काम करने वाले राज्य कर्मचारी-शिक्षक जो रहते तो कोटा में हैं लेकिन नौकरियों के लिये प्रतिदिन रेलगाड़ियों से ही डेली अप-डाउन करने के अभ्यस्त हैं। कोटा से गुना-बीना रेल मार्ग पर जाने वाली लोकल यात्री गाड़ियों में प्रतिदिन बड़ी तादाद में कोटा से अंता, बारां,अटरु, छबड़ा तक रोजाना सैंकड़ो सरकारी-गैर सरकारी कार्मिक रोजाना आवागमन करते है। इसी तरह कोटा से रतलाम की ओर जाने वाले रेल मार्ग पर कोटा से लेकर दरा, मोड़क, रामगंजमंडी और यहां तक की भवानीमंडी तक प्रतिदिन बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों सहित दैनिक वेतनभोगी श्रमिक वर्ग के लोग खासतौर से दरा, मोड़क, रामगंजमंडी,चेचट,सातलखेड़ी आदि के खान मजदूर प्रतिदिन नियमित रूप से रेल से आते-जाते हैं।
डेली-अप डाउन करने वाले ऐसे कामगारों की दिक्कतें इसलिए बढी थी कि पूर्ण या आंशिक रूप से निरस्त की गई यात्री गाड़ियों में वे लोकल गाड़ी भी शामिल थी जो कोटा से संभाग के आसपास के उन छोटे-बड़े शहरों और कस्बों से रेलवे स्टेशन से जुड़े हुए हैं जहां उनके कार्यस्थल है। इनमें कोटा से झालावाड़ सिटी, यमुना ब्रिज, आगरा, इटावा (उत्तर प्रदेश), मंदसौर (मध्य प्रदेश) बड़ोदरा (गुजरात), जूनागढ़ (मध्य प्रदेश) जाने वाली लोकल यात्री गाड़ियां शामिल थी ।
इसके अलावा प्रदेश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से सहित दूसरे राज्य को जोड़ने वाली कई यात्री गाड़ियों का आवागमन भी इस नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुआ। कोटा से होकर गुजरने वाली जोधपुर-भोपाल, दुर्ग-अजमेर, संतरागाछी-अजमेर जैसी यात्री गाड़ियां भी इस अवधि के दौरान निरस्त रही जिनमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में स्थानीय यात्री यात्रा करते हैं।
कोटा-सोगरिया रेल खंड पर नॉन इंटरलॉकिंग का काम कल सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया और अब सामान्य रेल यातायात बहाल करने की प्रक्रिया आज से शुरू कर दी गई है। पश्चिमी-मध्य रेलवे के कोटा मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक रोहित मालवीय ने बताया कि कोटा एवं सोगरिया स्टेशन पर तीन दिवसीय नॉन-इंटरलाकिंग कार्य 18 फरवरी से शुरू किया गया जो 20 फरवरी को पूर्ण हो गया। इस सेक्शन का कोटा एवं सोगरिया के मध्य कुल दुरी 1.32 किलोमीटर है।
गत एक फरवरी को मध्यवृत्त के रेल संरक्षा आयुक्त मनोज अरोड़ा ने इस सेक्शन की गुणवत्ता से संतुष्ट होकर 90 किलोमीटर प्रति घंटा से परिचालन की स्वीकृति दी थी । सोगरिया स्टेशन पर नॉन-इंटरलाकिंग कार्य दोपहर 1.20 बजे तथा कोटा स्टेशन का नान इंटरलाकिंग कार्य रात 8.25 बजे संपन्न हुआ। इस नान इंटरलाकिंग कार्य के दौरान मौजूदा आरआरई पैनल को मोडिफाइड कर दिया गया । 18 फरवरी को पूर्ण तैयारी के साथ सुबह 11.50 बजे से ब्लॉक लेकर 20 फरवरी को रात 8.25 बजे दिन-रात मंडल के परिचालन, इंजीनियरिंग, संकेत एवं दूर संचार, विद्युत (टीआरडी) विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के समन्वय से युद्ध स्तर पर संरक्षा एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नॉन-इंटरलाकिंग कार्य को पूर्ण किया जा सका।
यह ट्रैक राजस्थान के तीन महत्वपूर्ण पावर प्लांट को कोयला आपूर्ति करता है और राजस्थान की बिजली आपूर्ति के लिए लाइफ लाइन की तरह है । दोहरीकरण होने के पश्चात अब समय पर और अधिक कोयले की आपूर्ति की जायेगी जिससे रेलवे के राजस्व में भी काफी वृद्धि होगी। साथ ही साथ इस उपेक्षित रेल मार्ग की कमियों को दूर कर अब रेल सुविधाओं में भी उत्तरोत्तर वर्द्धि की जायेगी तथा रेल यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जायेगी एवं आने वाले समय में ट्रेनों के यात्रा समय में भी कटौती की जा सकेगी ।
इस नॉन-इंटरलाकिंग कार्य में रेल विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबन्धक अनिरुद्ध कौशल, आरवीएनएल सिग्नल एवं दूर संचार के महाप्रबंधक आनन्द गोल्हानी और महाप्रबंधक विधुत (आरवीएनएल) सौरभ मिश्रा ने अहम भूमिका निभाई । कोटा-सोगरिया स्टेशनों के नान इंटरलाकिंग पूर्ण होने से कोटा-बीना 302.60 किलोमीटर का डबल लाइन सेक्शन गाड़ी संचालन के लिए उपयुक्त हो गया। कोटा-सोगरिया नॉन-इंटरलाकिंग कार्य से प्रभावित होकर पूर्ण निरस्त, आंशिक निरस्त एवं मार्ग परिवर्तित रही गाडियों का संचालन आज से पूर्ववत रहेगा ।