
-विष्णुदेव मंडल-

(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति के मंजे हुए खिलाडी माने जाते हैं और उनका हर दाव अब तक कामयाब रहा है। इसी वजह से डेढ दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं। लेकिन तेजस्वी यादव को 2025 के विधानसभा चुनाव में सीएम पद का चेहरा बनाने का उनका राजनीतिक दाव इस बार उलटा पडता नजर आ रहा है। इस दाव की वजह से उनकी पार्टी जदयू में फूट पड चुकी है। बिहार में जनाधार वाले नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने गत दिवस ही नीतीश पर आरोपों की बौछार करते हुए पार्टी से नाता तोड लिया। इसमें तेजस्वी यादव का मुद्दा प्रमुख था। अब पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मुख्यमंत्री के आगामी 2025 विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात पर सवाल खडा किया है।
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने कभी भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव में लड़ने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा अभी 2025 बहुत दूर है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी काम कर रहे हैं। अब सवाल उठता है जनता दल यूनाइटेड के नेताओं में इतना कन्फ्यूजन क्यों है क्योंकि जहां मुख्यमंत्री बार-बार यह कह रहे हैं कि अगला विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का बयान अलग क्यों है?
जवाब स्पष्ट है कि नीतीश कुमार के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उनके इर्द-गिर्द रहने वाले नेता मसलन बिजेंद्र चौधरी, अशोक चौधरी, संजय झा एवं अन्य वरिष्ठ नेता भी तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है?
बहरहाल जनता दल यू में फूट पड चुकी है! उपेंद्र कुशवाहा द्वारा बुलाई गई कार्यकर्ता मीटिंग में राज्य के जिले और प्रखंडों से आए हजारों की संख्या कार्यकर्ताओं को देखने से अनुमान लगाया जा सकता है कि जदयू टूट चुकी है भले उनके नेता फूट की बातों से इंकार करते रहे। एक तरफ उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से अलग होकर नीतीश कुमार को चुनौती का एलान कर दिया है वहीँ वालमीकि नगर से जदयू सांसद सुनील कुमार ने सवाल कर रहे हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में जंगल राज का आगाज हो गया है। शासन बिल्कुल निरंकुश है। हर जगह गुंडे मवालियों का बोलबाला है। ऐसा लग रहा कि बंदुक उठाना पड़ेगा! बिहार में नित गोली- बारी, हत्याएँ, डकैती, गैंगवार, लूटपाट हो रही हैं। बिहार एक बार फिर जंगलराज के तरफ लौट रहा है। उल्लेखनीय है कि जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी में एकमत बनाने में सक्षम नहीं है तो फिर 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता और मोदी को सौ के भीतर समेटने की बात सिर्फ ख्याली पुलाव बनाना प्रतीत हो रहा है।