अजब तमाशा है दुनिया किसी को रास नहीं। यहाॅं पे कौन है ऐसा जो बद हवास नहीं।

क़तआत (मुक्तक)

-शकूर अनवर-
1
**
हर एक शख़्स कुदूरत* से आशना* क्यूॅं है।
दिलों में फ़र्क़ तअल्लुक़ में फ़ासला क्या है।
हुज़ूर आपके माथे पे ये शिकन कैसी।
हुज़ूर आपसे मैने अभी कहा क्या है।
2
**
अजब तमाशा है दुनिया किसी को रास नहीं।
यहाॅं पे कौन है ऐसा जो बद हवास नहीं।
पलट पलट के किताबे हयात* देखी है।
सुकूनो चैन का कोई भी इक़्तेबास* नहीं।
3
**
क़दम क़दम पे तुम्हें इश्तराक लाज़िम है।
चना अकेला कहीं भाड़ फोड़ पाता है।
वो नाव जिसके मुसाफ़िर बिल इत्तेफ़ाक़* न हों।
सफ़ीना* उनका समन्दर में डूब जाता है।
*

कुदूरत*नफ़रत, ईर्ष्या
आशना*परिचित
किताबे हयात* जीवन रूपी पुस्तक
इक़्तेबास *अध्याय
इश्तेराक* साझा
बिल इत्तेफ़ाक़*एक मत
सफ़ीना* बेड़ा पंक्तिबद्ध नावें

शकूर अनवर
9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments