कुछ तो होगा—

सलासिये
तीन मिसरों पंक्तियों की छोटी नज़्में
-शकूर अनवर-
1
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कई मंज़िलें—
दशतो सहरा*सराब*आयेंगे।
रास्तों में कई रास्ते।
अपनी मंज़िल कहाँ है अभी।।
2
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माहौल—
कैसा माहौल ये बदल डाला।
बाहमी* ऐतबार टूट गया।
हमने नफ़रत की बस्तियाॅं कर लीं।।
3
**
कुछ तो होगा—
या तो दरिया में डाल दो कश्ती।
यूॅं किनारे पे क्या खड़े रहना।
कोई सूरत*तो इसमें निकलेगी।।
**

दश्तो सहरा*जंगल और रेगिस्तान
सराब* मरीचिका
बाहमी* पारस्परिक
सूरत* परिस्थिति

शकूर अनवर
9460851271

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