क्योंकि दशरथ है अभिशप्त, संतान वियोग में मरने को….

dashrath putra ram
photo courtesy sriramwallpapers.com

-मनु वाशिष्ठ-

manu vashishth
मनु वशिष्ठ

अब रावण दैहिक नहीं है,
बुराई प्रतीक, दुख देने को…
मनुष्य ने किया आत्मसात
इस परंपरा ढोने को…
घर घर जन्म लेे रहे हैं राम
दशरथ है अभिशप्त,
संतान वियोग में जीने, मरने को…
अब नहीं है केकैयी, ना ही मंथरा
अब तो कौशल्या ही काफी है
वचन बद्धता के लिए
दशरथ के कान भरने को….
क्योंकि दशरथ है अभिशप्त,
संतान वियोग में मरने को….
मातापिता की चाहतों के वनवास
भोग रहे हैं बच्चे (पीड़ित भी, भोगविलास भी)
या विरक्त हो, तज रहे सुख को….
तन हुआ क्षत विक्षत
ना जाने किस सूटकेस में बंद
क्योंकि दशरथ है अभिशप्त,
संतान वियोग में…
मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

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