गंतव्यों की चाह तो देखो। बस उड़ता ही जाये पंछी।।

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आसमान में उडान भरता पक्षी। फोटा अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

शकूर अनवर

चाहे कहीं से आये पंछी।।
लगते नहीं पराये पंछी।।
*
उसका मन भी कोमल होगा।
जिसके मन को भाये पंछी।।
*
मौसम के बंजारे बनकर।
पर्वत पार से आये पंछी।।
*
हमको अपने भोलेपन का।
आईना दिख लाये पंछी।।
*
इन्सानों की नीयत खोटी।
कैसे ऑंख मिलाये पंछी।।
*
गंतव्यों की चाह तो देखो।
बस उड़ता ही जाये पंछी।।
*
दूर किसी सुनसान खॅंडर में।
अपना शहर बसाये पंछी।।
*
काबा काशी छोड़ के “अनवर”।
मेरी छत पर आये पंछी।।
*
शकूर अनवर

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प्रकाश सूना
प्रकाश सूना
2 years ago

बहुत ही उम्दा ग़ज़ल… मुबारक़बाद लें
-प्रकाश सूना