जीने का बेहिसाब हुनर थमा जाती चाय

– विवेक कुमार मिश्र-

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डॉ. विवेक कुमार मिश्र

आदमी चल पड़ता चाय पर….!

चाय कथा पर चलता जीवन संसार
जीवन चर्या का एक ऐसा हिस्सा बन जाता कि
दिए गए हजारों – हजार
जिम्मेदारियों , हैरानियों , परेशानियों के बीच

थोड़ा सा ठहर जाने , रुक जाने
और अपनी चेतना को तरोताजा कर लेने के लिए
अपने आप को नये सिरे से
अपडेट करने के लिए चाय के साथ चल पड़ता है

चाय हजार बातों के बीच
एक फुर्सत का पल निकाल ही लेती
उलझनों झंझावातों के बीच
जीने का बेहिसाब हुनर थमा जाती

जिंदादिली और बातों के बीच से
कैसे जिंदगी हंसी का रास्ता निकाल लेती
इसे चाय पर ही समझा जा सकता है

चाय पर अक्सर लोग जीने का हुनर
सीख रहे होते हैं – जाने अनजाने चाय रच देती
ताजगी उर्जा और सकारात्मकता का एक ऐसा पाठ कि
आदमी चल पड़ता चाय पर …..!

– विवेक कुमार मिश्र

(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)

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