दिल पे टूटा है कोई ग़म का पहाड़। अश्क* यूॅं बे सबब नहीं आता।।

shakoor anwar
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

मरने जीने का ढब* नहीं आता।
“इश्क़ बिन ये अदब नहीं आता”।।
*
दिल पे टूटा है कोई ग़म का पहाड़।
अश्क* यूॅं बे सबब नहीं आता।।
*
ख़ून रोना जिगर लहू करना।
हर किसी को ये सब नहीं आता।।
*
उसको देखा तो सबको भूल गया।
कोई भी याद अब नहीं आता।।
*
मुफ़लिसी में सिवाय मेहरूमी।
कोई जामे तरब* नहीं आता।।
*
याद उसकी हमेशा आती है।
वो ही आता है जब नहीं आता।।
*
ऑंख तो बस ये देखती “अनवर”।
कब वो आता है कब नहीं आता।।
*

ढब*तरीक़ा
अश्क*ऑंसू
मुफ़लिसी* ग़रीबी
जामे तरब*खुशी या मस्ती का जाम

शकूर अनवर
9460851271

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