shakoor anwar
शकूर अनवर

ग़ज़ल

शकूर अनवर
क्या मिला लहरों से डरकर।
रह गये कश्ती डुबोकर।।
*
हो गई दुनिया सितम गर*।
बन गये हैं लोग पत्थर।।
*
इन दिनों रूठे सितारे।
इन दिनों रूठा मुक़द्दर।।
*
फिर नये चंगेज़ उभरे।
फिर हुए पैदा सिकंदर।।
*
देख लो जो कुछ किया है।
झाॅंक लो तुम खुद के अंदर।।
*
हम तो क़िस्मत के तमाशे।
घर के होते भी हैं बेघर।।
*
ख़ूॅंबहा* देता है मुझको।
ख़ून वो मेरा बहाकर।।
*
दौड़ते चलना है प्यारे।
पाॅंव को बस सर पे रखकर।।
*
मैं ॲंधेरों का मुसाफ़िर।
और मेरा नाम “अनवर”।।
*
सितम गर* ज़ालिम
ख़ूॅंबहा* वो राशि जो मरने वाले के वारिस को मुआवजे के तौर पर मिले
शकूर अनवर 9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments