नई मंजिलों को है पाना चलो, खफा हो तो हो यह जमाना चलो। हिमालय के हिमालय से आकाश भी पास है, वहीं से पतंगे उड़ाना चलो।

गोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि अम्बिकादत्त चतुर्वेदी ने अपनी कविता 'घड़ीसाज' सुनाते हुए कहा कि संक्रांति में क्रांति शब्द शामिल है, हमारे समय के कवियों को सामाजिक बदलाव और मूल्यों को अपनी रचनाओं में व्यक्त करके वास्तविक संक्रांति की भूमिका निभानी चाहिए।

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-मकर सक्रांति पर सद्भावना काव्य गोष्ठी आयोजित
-कवि-शायरों ने काव्य पाठ के साथ उड़ाए शांति के प्रतीक श्वेत कपोत और सद्भावना की पतंगे

-दिनेशराय द्विवेदी-

(उपाध्यक्ष, विकल्प जन सांस्कृतिक मंच)

कोटा। मकर सक्रांति का त्यौहार नगर के कवियों और शायरों ने रविवार को अत्यन्त उत्साहपूर्ण वातावरण में निराले ढंग से मनाया। जाने.माने शायर शकूर अनवर के शिवपुरा में चंबल किनारे के स्थित आवास पर काव्य पाठ के साथ.साथ शांति के प्रतीक कबूतर आसमान में छोड़े गए तथा पतंगों पर सद्भावना और भाईचारे का संदेश लिखकर मुक्ताकाश में उड़ाया गया।
विकल्प जन सांस्कृतिक मंच द्वारा सद्भावना काव्य गोष्ठी कार्यक्रम वर्ष 2004 से जारी है। काव्य गोष्ठी में कवियों और शायरों ने अपनी कविताओं में मोहब्बत का रंग भरते हुए समाज से नफरत मिटा कर एक उन्नत और खुशहाल भारत बनाने वाली रचनाएं पढ़ीं।

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कृष्णा कुमारी ने अपनी ग़ज़ल में कहा.
सीमाओं में बांध लूं कैसे अपना प्यार
मुझको तो प्यारा लगे सारा ही संसार।

मेजबान शकूर अनवर ने बेहद असरदार शेर पढ़ा…
नई मंजिलों को है पाना चलो, खफा हो तो हो यह जमाना चलो।
हिमालय के हिमालय से आकाश भी पास है, वहीं से पतंगे उड़ाना चलो।

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गोष्ठी में शरद तैलंग, आरसी शर्मा आरसी, ए जमील कुरैशी, चांद शेरी, हलीम आईना, सीमा तबस्सुम, दिनेशराय द्विवेदी, रघुराज सिंह कर्मयोगी, वेद प्रकाश प्रकाश, किशन लाल वर्मा, बिगुल कुमार जैन और नारायण शर्मा ने अपनी कविताओं से गोष्ठी को यादगार बनाया। मुख्य अतिथि डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि विकल्प काव्य गोष्ठी का यह सद्भावना संदेश जन.जन तक जाना चाहिए। गोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि अम्बिकादत्त चतुर्वेदी ने अपनी कविता ‘घड़ीसाज’ सुनाते हुए कहा कि संक्रांति में क्रांति शब्द शामिल है, हमारे समय के कवियों को सामाजिक बदलाव और मूल्यों को अपनी रचनाओं में व्यक्त करके वास्तविक संक्रांति की भूमिका निभानी चाहिए। गोष्ठी का संचालन कवि महेंद्र नेह ने किया। उन्होंने अपनी कविता त्यौहारी खुशी का दिन सुनाकर गोष्ठी को नया रूप दिया।

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Neelam
Neelam
2 years ago

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