पग पग पर घाटे का सौदा। दिल का कारोबार यही है।।

shakoor anwar
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

दर्द हो दिल में प्यार यही है।
प्यार की अंतिम धार यही है।।
*
संग तुम्हारे जीवन गुज़रे।
इच्छा तो सरकार यही है।।
*
पग पग पर घाटे का सौदा।
दिल का कारोबार यही है।।
*
कर्म करो और फल मत चाहो।
गीता का भी सार यही है।।
*
मन में प्रेम की कोंपल फूटे।
सावन का उपहार यही है।।
*
आंख के रस्ते दिल में उतरो।
प्रेम नगर का द्वार यही है।।
*
अंबर से आगे भी अंबर।
नज़रों का विस्तार यही है।।
*
दर्शन को दुर्लभ मत करना।
ज़ख़्मों का उपचार यही है।।
*
अब तो “अनवर” क़लम उठाओ।
अपना तो हथियार यही है।।
*
शकूर अनवर

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