फर्क है बस जरा सा…

kishor sagar
फोटोः एएच जैदी

-मनु वाशिष्ठ-

manu vashishth
मनु वशिष्ठ

फर्क है बस जरा सा…
इसलिए #संतुलन जरूरी है।
लाड़ और मोह में,
भोजन और भोग में,
भक्ति और पूजा में,
धर्म और आस्था में,
ग्रंथ और पोथी में,
साड़ी और धोती में फर्क है जरा सा…
सच और दिखावे में,
पोशाक और पहनावे में,
ओज और दिव्यता में,
सुंदर और भव्यता में,
घर और मकान में,
मंदिर और भगवान में,फर्क है जरा सा…
उम्मीद और विश्वास में,
भरोसे और आस में,
मां और सास में,
व्यंग्य और हास्य में,
घृणा और नापसंदगी में,
स्वतंत्र और स्वछंदगी में,फर्क है जरा सा…
प्रेम और वासना में,
भूख और तृष्णा में,(क्षुधा,हवस)
दिलासा और राहत में,
लालसा और चाहत में,
दुख और आहत में,
देना और दान में फर्क है जरा सा…
आज्ञाकारी और जीहुजूरी में,
साहस और(दुस्साहस) सीनाजोरी में,
बंधन और गुलामी में,
मानसून और सुनामी में,
बंदिश और अनुशासन में,
पहचान और सम्मान में,फर्क है जरा सा…
कंजूसी और मितव्ययता में,
जरूरत और आवश्यकता में,
तर्क और जवाब में,
समूह और समाज में,
डर और लिहाज में,
चादर और लिहाफ में, फर्क है जरा सा…
समझ और ज्ञान में,
चुप्पी और मौन में,
कथा और गाथा में,
रोक और बाधा में,
अभिमान और स्वाभिमान में,
फर्क है, बस जरा सा …
इसलिए …संतुलन जरूरी है,
हां! … संतुलन बेहद जरूरी है।
__मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

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Neelam
Neelam
2 years ago

बहुत सुंदर।सच कहा है संतुलन शब्द अपने आप मे ही बहुत मायने रखता है।

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Neelam
2 years ago

नीलम जी शुक्रिया, आपकी प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगती हैं ????

Laxman singh
Laxman singh
2 years ago

वाह वाह लाजवाब बहुत सुन्दर

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Laxman singh
2 years ago

धन्यवाद आदरणीय